हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार करने की है एक खास वजह, जानें इस पर क्या कहता है ज्योतिषशास्त्र

नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। “ये भोले बाबा हमहू करब तीज के व्रत, बनल रहे अमर सुहाग हो।” यह एक लोकगीत के बोल हैं जिसमें एक सुहागन भोले बाबा से कह रही है कि वह उसके सुहाग को सलामत रखें।

हर वर्ष भाद्रपद में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है। ऐसे में सुहागन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस बार हरतालिका तीज आने वाली 6 सितंबर को मनाई जाएगी।

इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करने के लिए पूजा-पाठ के साथ पूरे दिन उपवास रखती हैं, सोहल श्रृंगार करती हैं।

तीज पर सोहल श्रृंगार का अपना एक अलग ही महत्व है। यह दिन प्राचीन काल से मनाया जा रहा है और यह माता पार्वती को समर्पित है। यह इसलिए भी खास है कि इस दिन महिलाएं ऐसी कामना करती हैं कि उनका जीवन भी देवी पार्वती और भगवान शिव के रिश्ते की तरह हो। इस दिन जो महिलाएं माता पार्वती को ध्‍यान में रखकर 16 श्रृंगार करती हैं उन्हें भगवान से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

16 श्रृंगार में सिंदूर, मंगलसूत्र, बिछिया, पांव में महावर, नेल पेंट, काजल, लिपिस्टिक, वस्त्र, चूड़ी, मेहंदी, बिंदी, गजरा पायल, अंगूठी, बाजूबंद, कमरबंद और हार को गिना जाता है।

हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार के महत्व को जानने के लिए आईएएनएस ने ज्योतिष और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ गायत्री शर्मा से बात की।

उन्होंने कहा, “आने वाले 6 सितंबर को सभी सुहागन महिलाएं हरतालिका तीज मनाने जा रही हैं। ऐसे में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करने के लिए माता पार्वती की पूजा करती है, क्योंकि मां पार्वती अखंड सौभाग्य देने वाली होती हैं। अखंड सौभाग्यवती का मतलब यहां यह है कि महिलाएं इस दिन कामना करती है कि जब भी वह इस दुनिया से जाएं, सुहागन ही जाएं। हिंदू धर्म में इस चीज को काफी अच्छा माना जाता है।”

गायत्री शर्मा ने कहा, “जब भी पति की लंबी आयु की कामना की बात आती है तो माता पार्वती की ही पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस तरह भगवान शिव और माता पार्वती का स्वभाव अलग-अलग होने के बाद भी वह एक ही हैं, ऐसे ही इस दिन यह कामना की जाती है कि स्वभाव चाहे पति-पत्नी एक न हो, मगर प्यार बाबा भोले और मां पार्वती जैसा बने रहे।”

16 श्रृंगार के बारे में गायत्री ने बताया, “इस दिन माता पार्वती को 16 श्रृंगार पूजा में अर्पित किए जाते हैं। साथ ही उनसे यह कामना की जाती कि हम भी सदा सुहागिन रहें। माना जाता है कि इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार अर्पित करने के साथ खुद भी सजती -संवरती हैं और माता से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मांगती है।”

–आईएएनएस

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