नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। रविवार को दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया कि रिसर्च संबंधी शिक्षा के क्षेत्र में दी जाने वाली ग्रांट (अनुदान राशि) को कम किया गया है। दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री आतिशी का कहना है कि वर्ष 2014 में रिसर्च के लिए 70 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान था, अब यह केवल 35 हजार करोड़ रुपए रह गया है। आतिशी ने कहा कि न केवल रिसर्च के लिए बजट आवंटन कम किया गया है बल्कि रिसर्च इंस्टीट्यूशन जो प्राइवेट ग्रांट लेकर आ रहे हैं उस पर जीएसटी भी लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में दिल्ली सरकार यह विषय उठाएगी और इसका विरोध करेगी।
सोमवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक होनी है। आतिशी ने कहा कि जीएसटी काउंसिल में दिल्ली सरकार यह मांग करेगी कि रिसर्च ग्रांट पर जो जीएसटी लगाया गया है उसको तुरंत हटाया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन को मिलने वाली ग्रांट पर जीएसटी हटाया जाए।
आतिशी का कहना है कि इसके अलावा ऑनलाइन पेमेंट गेटवे पर जो छोटी रकम की लेनदेन होती है उस पर जीएसटी लगाने का मुद्दा भी जीएसटी काउंसिल में आ रहा है। आतिशी का कहना है कि 2000 रुपए से कम के लेनदेन पर जीएसटी लगाने का विरोध किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार लगातार कहती आ रही है कि वे डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दे रहे हैं और कैशलेस अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित कर रहे हैं। लेकिन छोटे ऑनलाइन लेनदेन पर जीएसटी लगने पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में सोमवार को केंद्र सरकार एक प्रस्ताव लेकर आ रही है जिसके तहत छोटे ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाए जाने का प्रस्ताव है। अभी तक जो 2000 रुपए से कम के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन होते हैं उन्हें जीएसटी से छूट मिलती थी। यानी हम नेट बैंकिंग या ऑनलाइन किसी भी वस्तु की खरीदारी करते हैं और कुल लेनदेन 2000 से कम है तो उस लेनदेन पर जीएसटी नहीं लगता है। आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार यह प्रस्ताव ला रही है कि जो भी ट्रांजैक्शन पेमेंट गेटवे के माध्यम से होते हैं, चाहे वह 2000 रुपए से कम ही क्यों न हो, उन पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाए। आतिशी का कहना है कि दिल्ली सरकार, केंद्र के इस कदम का विरोध करेगी।
–आईएएनएस
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