ऑस्ट्रेलिया में ऑनलाइन बाल शोषण की बढ़ रही तादाद, पुलिस ने अभिभावकों को किया आगाह

ोहaus, 6 सितम्बर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने ऑनलाइन यौन और हिंसक कंटेंट तैयार करने के लिए बच्चों को मजबूर करने की संख्या में वृद्धि पर चेतावनी जारी की है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस (एएफपी) ने शुक्रवार को ऑस्ट्रेलिया में बढ़ते ऑनलाइन चलन पर माता-पिता और अभिभावकों को आगाह किया है। पुलिस ने बताया कि कम उम्र के बच्चे ऑनलाइन अपराध का अनजाने में शिकार बन रहे हैं। बच्चों को ज्यादा से ज्यादा कंटेट बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

एएफपी ने कहा कि ‘सैडिस्टिक सेक्सटॉर्शन’ इंटरनेट अपराध का एक बढ़ता हुआ प्रकार है जहां ऑनलाइन कम्यूनिटी 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को टारगेट करते हैं। ऑनलाइन कम्यूनिटी में स्वीकृति प्राप्त करने के लिए उन पर स्पष्ट यौन या हिंसक कृत्य की तस्वीर या वीडियो स्वयं बनाने के लिए दबाव डालते हैं।

एक बार जब तस्वीर या वीडियो बन जाता है और किसी अपराधी को भेज दिया जाता है, तो प्राप्तकर्ता उस कंटेंट को समुदाय के अन्य सदस्यों को भेज देता है। फिर वो पीड़ित से अपने दोस्तों या परिवार के साथ कंटेंट शेयर करने की धमकी देकर जबरन वसूली करता है और ये तब तक चलता है जब तक उत्तेजित कंटेंट नहीं बनाया जाता।

एएफपी के अनुसार, कुछ मामलों में अपराधी निशाना बनाए जाने वाले पीड़ितों की उम्र के ही होते हैं। एएफपी के ह्यूमन एक्पलोाईटेशन कमांडर हेलेन सांइडियर ने कहा कि ऑस्ट्रेलियन सेंटर टू काउंटर चाइल्ड एक्सप्लोइटेशन (एसीसीसीई) द्वारा प्राप्त खुफिया जानकारी से पता चलता है कि एक्सट्रीम ऑनलाइन समूहों में अधिकांश अपराधी पैसे के बजाय समूह के भीतर पोजिशन या ख्याति प्राप्त करने की सोच के साथ जुड़ते हैं।

उन्होंने एक बयान में कहा कि “ये अपराधी वित्तीय लाभ से प्रेरित नहीं हैं। इसके बजाय, वे अपने विक्षिप्त मनोरंजन के लिए घृणित कंटेंट तैयार करने के लिए कमजोर पीड़ितों का शोषण करते हैं। “दुर्भाग्य से, इन समूहों में कुछ पीड़ित खुद को पीड़ित के रूप में नहीं देखते हैं।”

उन्हें विश्वास नहीं है कि उन्हें इन बेहद भयानक कार्यों को करने के लिए मजबूर किया जा रहा है और इसलिए अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट कराने की संभावना नहीं है।”

एएफपी ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण सप्ताह (एनसीपीडब्ल्यू) के साथ समन्वय करते हुए चेतावनी जारी की, जिसका उद्देश्य ऑस्ट्रेलियाई लोगों को बाल दुर्व्यवहार और उपेक्षा की जटिलता के बारे में शामिल करना और शिक्षित करना है।

सांइडियर ने कहा कि माता-पिता और अभिभावकों को उन चेतावनी और संकेतों के बारे में पता होना चाहिए जो बताते हैं कि एक बच्चा कैसे अपने गैजेट की स्क्रीन टाइम बढ़ाने और सेल्फ आइसोलेशन के लिए तैयार किया जा रहा है।

—आईएएनएस

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