सोना आग में तपकर खरा होता है…मुश्किलें इंसान के इरादे आजमाती हैं…कुछ ऐसा ही कर दिखाया है झारखंड विधानसभा के रण में दिशोम गुरु शिबू सोरेने की छोटी बहू कल्पना सोरेन ने। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इडी द्वारा गिरफ्तारी और जेल जाने के बाद कल्पना ने एक बार राजनीति के अखाड़े में पैर रखा तो दिग्गजों को धूल चटाती नजर आ रही हैं।
राजनीति कभी उनकी पहली पसंद नहीं थी
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के लिए राजनीति कभी उनकी पहली पसंद नहीं थी, लेकिन 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके पति की गिरफ्तारी के बाद उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई। ईडी ने कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधम मामले में हेमंत को गिरफ्तार किया था। अपने पति की कानूनी लड़ाइयों से उत्पन्न व्यक्तिगत और राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, 48 वर्षीय कल्पना ने एक लचीली और तेजतर्रार नेता होने का परिचय दिया है।
कभी राजा दशरथ के लिए कैकयी ने किया था यह काम
झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटे हैं। झामुमों के नेतृत्व में इस बार इंडिया गठबंधन ने 56 सीटें जीती हैं। इसमें अकेले झामुमो ने 34 सीटी जीती हैं जो झारखंड गठन के बाद उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इस बार विधानसभा चुनाव में कल्पना ने करीब 200 रैलियों के जरिए पार्टी में नया जोश भर दिया और एक ताकतवर चेहरा बनकर उभरी हैं। देखा जाए तो कल्पना ने हर चार रैलियों में एक विधानसभा की सीट गठबंधन की झोली में डाल दी।
घोटाले के आरोप में पति की गिरफ्तारी और जेल, अपनी जेठानी सीता सोरेने का विद्रोह और पार्टी के दूसरे नंबर के नेता और मुख्यमंत्री रहे चंपई सोरेने का भाजपा के साथ चले जाने जैसे झटकों का असर कल्पना ने पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर नहीं पड़ने दिया। जबकि खुद को साबित करने के लिए वह सब कर दिया जो कभी कैकयी ने राजा दशरथ के लिए किया था। ऐसा कहा जाता है कि एक बार राजा दशरथ देवताओं की ओर से युद्ध ल़ड़ रहे थे जो बड़ा निर्णायक था। युद्ध के दौरान उनकी सारथी विदुसी और युद्ध कला में पारंगत कैकयी थीं। युद्ध के दौरान राजा दशरथ के रथ के एक पहिये को धुरी से बाहर निकलने से बचाने वाला कील निकल गया। इसपर कैकयी ने मौजे की नजाकत देखते हुए वहां अपनी अंगुली फंसा दी। युद्ध खत्म होने के बाद राजा दशरथ की नजर कैकयी पर पड़ी तो देखते हैं कि उनकी अंगुली लहूलुहान है।
भाजपा के विरोध में मुखर आदिवासी और महिला चेहरा
कल्पना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोध में एक मुखर व्यक्तित्व के रूप में उभरीं और उन्होंने भाजपा पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को निशाना बनाने वाली अत्याचारी ताकत’ होने का आरोप लगाया।कल्पना का नेतृत्व विशेष रूप से लोकसभा चुनावों के दौरान प्रमुख हो गया, जहां उन्होंने जोरदार प्रचार किया और झारखंड में झामुमो के प्रयासों का नेतृत्व किया, जिससे उन्हें आदिवासी समुदायों और अन्य लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ।
आदिवासी उत्पीड़न के आगे नहीं झुकते
जुलाई में अपने पति हेमंत सोरेन की जेल से रिहाई और उसके बाद हेमंत सोरेन के दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद कल्पना के राजनीतिक उड़ान को नई ऊंचाई मिली। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आदिवासी स्वभाव से ही उत्पीड़न के आगे नहीं झुकते और यह भावना राज्य में कई लोगों में व्याप्त है।
शिक्षा में किसी से कम नहीं
कल्पना सोरेन ने अपनी स्कूली शिक्षा ओडिशा के मयूरभंज जिले के बारीपदा में पूरी की और भुवनेश्वर से इंजीनियरिंग और एमबीए की डिग्री हासिल की। वह पढ़ाई में शुरू से ही तेज रही हैं। उनकी पढ़ाई देखकर ही शिबू सोरेन ने अपनी बहू बनाने का फैसला किया था।
ऐसे शुरू हुई राजनीतिक यात्रा
कल्पना सोरेन की राजनीतिक यात्रा चार मार्च को गिरिडीह जिले में झामुमो के 51वें स्थापना दिवस समारोह से शुरू हुई, जहां उन्होंने दावा किया कि 2019 में हेमंत सोरेन सरकार के सत्ता में आने के बाद से विरोधियों द्वारा उनके खिलाफ एक साजिश रची गई थी। हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को ईडी ने कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जून में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ हुए गांडेय उपचुनाव में कल्पना ने अपने निकटतम भाजपा प्रतिद्वंद्वी दिलीप कुमार वर्मा को 27,149 मतों से हराया और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।