शिक्षा में बाधक हियरिंग लॉस को दूर करने के की पहल के लिए कॉकलियर फाउंडेशन ने मलाला फंड से हाथ मिलाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया में 3.5 करोड़ बच्चों को श्रवणबाधा (हियरिंग लॉस) है1। अगर श्रवणबाधित बच्चों को हियरिंग हेल्थकेयर और सहयोग जल्दी मिल जाएं, तो वे बोल सकते हैं, संवाद कर सकते हैं, सीख सकते हैं और विकसित हो सकते हैं। शिक्षा प्राप्त करने और अपनी पूरी क्षमता पहचानने की उनकी योग्यता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है।
कॉकलियर फाउंडेशन और मलाला फंड का साथ
विश्व की सबसे कम उम्र की नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई द्वारा संस्थापित मलाला फंड और हियरिंग हेल्थ पर काम करने वाले गैर-लाभकारी कॉकलियर फाउंडेशन ने एक भागीदारी की है। यह भागीदारी उन बाधाओं पर जागरूकता बढ़ाने के लिये है, जो श्रवणबाधा से पीड़ित लाखों बच्चों और नौजवानों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लेने से रोकती हैं। उनकी भागीदारी यह सुनिश्चित करने के लिये है कि श्रवणबाधा वह एक और कारण न बने, जिससे लड़कियाँ, हाशिये पर खड़े लोग वो जिन्हें हियरिंग हेल्थकेयर या सहयोग की जरूरत वो पीछे छूट जाएं।
मलाला ने कही यह बात
इस भागीदारी को लॉन्च करने के लिये बनाये गये इस खास वीडियो में मलाला युसुफजई ने कहा, “हियरिंग लॉस वाले सभी बच्चों को मेरा संदेश यह है कि आप अपना कोई भी सपना पूरा कर सकते हैं। हाँ, हो सकता है कि कुछ चीजें हमें रोकें और इसलिये हमारे लिये यह थोड़ा कठिन हो सकता है। और मैं निजी तौर पर इस बात को समझ सकती हूँ, क्योंकि मैं बायें कान से नहीं सुन पाती हूँ और कॉकलियर इम्प्लांट का इस्तेमाल करती हूँ। लेकिन आप इसके योग्य हैं। आप दूसरों की तरह समान अवसर पाने के योग्य हैं।‘’
क्यों उच्च शिक्षा में पिछड़ जाते हैं बच्चे
अगर श्रवणबाधा वाले बच्चों को सही समय पर हियरिंग हेल्थकेयर और सहयोग न मिले, तो वे अक्सर स्कूल में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं, उनका स्कूल छोड़ने का जोखिम ज्यादा रहता है और उच्च शिक्षा पाने की संभावना कम हो जाती है। यह समस्या विश्व के कई भागों में और भी बढ़ जाती है, जहाँ लाखों बच्चे, खासकर लड़कियाँ शिक्षा में पहले से बाधाओं का सामना कर रही होती हैं।