भारत (India) और दुनिया में लीची (lychee) के लिए मशहूर बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (muzaffarpur) की माटी इस भरी गर्मी में अपने नौजवानों की सफलता की मिठास छोड़ रही है। इस शहर के अभिनव (Abhinav)ने संघ लोक सेवा आयोग (upsc) की सिविल सेवा परीक्षा में 146वीं रैंक लाकर राज्य और इस शहर का मान बढ़ाया है। अभिनव को पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। लेकिन दूसरे प्रयास में ही वह कामयाबी की मंजिल तक पहुंच गए। असफलता से सबक लेकर बिना निराश हुए आगे बढ़ने की अभिनव की रणनीति लाखों युवाओं को सफलता की राह दिखा सकती है।
इतने ऊंचे रैंक की उम्मीद नहीं थी
मुजफ्फरपुर से स्कूली पढ़ाई पूरी करने वाले अभिनव ने आईआईटी खड़गपुर ( iit kharagpur) से इंजीनियरिंग की है। इसके बाद दो साल तक निजी क्षेत्र में काम किया। बचपन से सिविल सेवा में जाने का सपना देखने वाले अभिनव का मन निजी क्षेत्र की नौकरी में नहीं रमा और नौकरी छोड़कर तैयारी में जुट गए। अभिनव का कहना है कि पहले प्रयास में सफलता नहीं लेकिन इस बार पिछली गलतियों को सुधारकर पढ़ाई की और कामयाब रहा। अभिनव का कहना है कि इस बार सफलता की उम्मीद थी लेकिन इतनी ऊंची रैंकिंग आएगी इसका अनुमान नहीं था।
ऐसे बनाई सफलता की रणनीति
अभिनव ने बताया कि सिविल सेवा में सफलता की पहली सीढ़ी विषय का चुनाव है। इंजीनियरिंग बैकग्राउंड होने के बाद भी मैने पहले अर्थशास्त्र और बाद में लोक प्रशासन विषय को चुना। उनका कहना है कि अर्थशास्त्र कुछ दिन पढ़ने के बाद मुझे लगा कि लोक प्रशासन इससे बेहतर विकल्प हो सकता है। अभिनव का कहना है कि विषय का चुनाव करते समय तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए। पहला, उस विषय का पाठ्यक्रम यानी सिलेबस, दूसरा पिछले कुछ साल के आए हुए प्रश्नपत्र और तीसरा आपकी समझ। अभिनव का कहना है कि कोई एक विषय की बजाय कम से कम तीन विषय की एक चयन सूची बनाएं। इसके बाद इनके सिलेबस को देखें और फिर पिछले कुछ वर्षों के प्रश्नपत्र को देखें। इसके बाद अपने सीनियर से भी इस बारे में सलाह लें। एक बार विषय तय कर लेने के बाद तैयारी शुरू कर दें।
सबसे कठिन है प्रारंभिक यानी पीटी
अभिनव ने बताया कि सिविल सेवा परीक्षा के तीनों चरण कठिन हैं। उन्होंने कहा कि मेरा पहले प्रयास में ही प्रारंभिक परीक्षा में चयन हो गया था इसके बावजूद मुझे लगता है कि सिविल सेवा में सबसे कठिन पीटी है क्योंकि इसके बारे में अंदाजा नहीं सकते हैं। अभिनव ने बताया कि जहां तक तैयारी को लेकर रणनीति की है तो मझे लगता है कि किसी विषय की 10 किताबों को पढ़ने की बजाय एक किताब को 10 बार पढ़ी जाए।