Greater Noida Authority में 300 करोड़ रुपये का घोटाला, पूर्व सीईओ नरेंद्र भूषण समेत तीन अफसरों पर आरोप, आपका आधार और डिजिटल हस्ताक्षर भी अनजान लोगों के हवाले

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) के पूर्व सीईओ Former CEO Narendra Bhushan समेत तीन अधिकारियों पर 300 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा है। ये आरोप डिजिटल सिस्टम तैयार करने के नाम पर किए गए इस घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath ने निर्देश दे दिया है। इसमें कई तरह की खामियां सामने आ रही हैं। जांच रिपोर्ट में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

प्रधानमंत्री से भी शिकायत

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण दफ्तर में हुए घोटाले की शिकायत बादलपुर निवासी राजेंद्र सिंह ने की है। आपको बता दें कि बादलपुर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का गांव है। राजेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री (Prime Minister Narendra Modi) पोर्टल और मुख्यमंत्री पोर्टल (Chief Minister Yogi Adityanath ) के जरिये शिकायत दर्ज करने के अलावा उत्तर प्रदेश राज्य के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी को भी पत्र भेजा है। दर्ज की गई शिकायत में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ नरेंद्र भूषण, जनरल मैनेजर प्लानिंग और वरिष्ठ प्रबंधक पर भ्रष्टाचार का भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है।

मुख्यमंत्री ने दिए जांच के निर्देश

शिकायत मिलते ही मुख्यमंत्री (Chief Minister Yogi Adityanath ) ने जांच का आदेश दे दिया है। इसके तुरंत बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तरफ से इसकी जांच शुरू हो गई है। एसीईओ अदिती सिंह ने मामले के जांच की जिम्मेदारी विशेष कार्याधिकारी (osd)  सौम्य श्रीवास्तव को सौंपी है। 15 दिनों के अंदर तथ्यात्मक रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

300 करोड़ खर्च करने पर भी डिजिटल सिस्टम तैयार नहीं

शिकायत में राजेंद्र सिंह ने यह आरोप लगाया है कि सॉफ्टवेयर को शुरू करने के लिए अब तक प्राधिकरण 300 करोड़ का भुगतान कर चुका है, फिर भी सॉफ्टवेयर तैयार नहीं हो पाया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि वरिष्ठ प्रबंधक सिस्टम ने सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए ऐसे कर्मचारियों को भर्ती की है, जो सॉफ्टवेयर तैयार करने में सक्षम नहीं है। इतना हीं नहीं सॉफ्टवेयर तैयार के लिए बाहर के कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है। इसके अलावा इन कर्मचारियों को डिजिटल हस्ताक्षर और आधार नंबर पर हस्ताक्षर की अनुमति प्रदान की गई है, जो नियमों के विपरीत है क्योंकि यह संवदेनशील श्रेणी में आता है।