खरीफ सत्र में धान की बुवाई कम होने से चावल का उत्पादन लगभग 60-70 लाख टन कम रहने की आशंका के बीच चावल के दाम ऊंचे स्तर पर बने रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में पहले से सुस्त अर्थव्यवस्था पर महंगाई का दबाव और बढ़ेगा।
अनाज समेत तमाम खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़े हुए हैं जिससे तीन महीने से गिरावट का रुख दिखा रही खुदरा मुद्रास्फीति दोबारा बढ़ने लगी और यह अगस्त में सात फीसदी पर पहुंच गई। इसके साथ ही थोक मुद्रास्फीति पर भी अनाज समेत अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों का दबाव रहा।
विशेषज्ञों और विश्लेषकों का अनुमान है कि मुद्रास्फीति आने वाले समय में भी ऊंचे स्तर पर ही बनी रहेगी। वहीं जून-सितंबर में अनियमित बारिश होने और दक्षिण-पश्चिम मानसून के अब तक विदा नहीं लेने की वजह से धान की फसल को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
भारत का चावल उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 में 13.029 करोड़ टन रहा था जो उसके एक साल पहले 12.437 करोड़ टन था। खाद्य मंत्रालय ने अनुमान जताया है कि इस वर्ष के खरीफ सत्र में चावल उत्पादन 60-70 लाख टन कम रहेगा। देश के कुल चावल उत्पादन में खरीफ सत्र का अंशदान करीब 85 फीसदी होता है।