झारखंड में तेजी से बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ( जेएमएम) -कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन की ओर से चंपई सोरेन को नया नेता चुन लिया गया है। गठबंधन की ओर से इससे संबंधित समर्थन पत्र भी राज्यपाल को सौंपा है। अब राज्यपाल को अगले कदम पर फैसला लेना है।
सीएम की रेस में कल्पना सोरेन का भी था नाम
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आपको बता दें कि गिरफ्तारी से पहले सीएम हेमंत सोरेन भी राजभवन पहुंचे। ईडी की हिरासत में ही हेमंत सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दिया। ऐसी चर्चा थी की हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन सीएम हो सकती हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अंतत: चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया गया।
सिबू सोरेन के रहे हैं करीबी
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जेएमएम संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी रहे चंपई सोरेन कोल्हान क्षेत्र में ‘टाइगर’ के नाम से चर्चित हैं। हेमंत सोरेन भी उनकी काफी इज्जत करते हैं और अक्सर पैर छूकर प्रणाम करते हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेताओं में शामिल हैं। वो जेएमएम के केंद्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। हेमंत सोरेन के मंत्रिमंड वह परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इससे पहले वे अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में जेएमएम-बीजेपी गठबंधन सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।
पहली बार निर्दलीय बने थे विधायक, 2009 में एक कदम दूर रह गई थी सीएम की कुर्सी
चंपई सोरेन ने निर्दलीय तौर पर सरायकेल सीट से विधायक बने थे। इसके बाद उन्होंने जेएमएम की सदस्यता ग्रहण कर ली।चंपई सोरेन के लिए इससे पहले साल 2009 में भी इसी तरह सीएम बनने का मौका आया था। आपको बता दें कि उस समय सीएम रहे शिबू सोरेन को अचानक इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद उन्होंने चंपई को सोरेन को अपना उत्तराधिकारी चुना था। हालांकि, शिबू सोरेन के डिप्टी रहे स्टीफन मरांडी ने सवाल खड़े किए। उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया जिससे नया सियासी संकट खड़ा हो गया था। ऐसे में चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे।