गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राज्य में विधानसभा चुनाव होने से करीब सवा साल पहले शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नए सीएम की रेस में केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडविया का नाम सबसे आगे चल रहा है। हालांकि, इस्तीफे की वजह अभी सामने नहीं आई है। उन्होंने दिसंबर 2017 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। रूपाणी ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपने के बाद कहा, ”मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। रूपाणी के इस्तीफे की घोषणा के तुरंत बाद भाजपा के संगठन महासचिव बी एल संतोष तथा गुजरात राज्य इकाई के पार्टी प्रभारी भूपेंद्र यादव ने पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि रविवार को संभावित विधायक दल की बैठक में रूपाणी के उत्तराधिकारी के नाम पर चर्चा हो सकती है।
सामान्य कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री तक
रूपाणी ने कहा, ”भाजपा में यह परंपरा है कि पार्टी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियां समय-समय पर बदलती हैं। पार्टी भविष्य में मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं उसे लेने को तैयार रहूंगा। उन्होंने कहा, ”मुझ जैसे सामान्य कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की जनता की सेवा करने का यह अवसर देने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं।
अगला मुख्यमंत्री पाटीदार समुदाय से होगा
विजय रूपाणी जैन समुदाय से आते हैं, जिसकी राज्य में करीब दो प्रतिशत आबादी है। राजनीतिक हलकों में इस तरह की अटकलें हैं कि रूपाणी का उत्तराधिकारी पाटीदार समुदाय से हो सकता है। इनमें उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, राज्य के कृषि मंत्री आर सी फल्दू और केंद्रीय मंत्रियों पुरषोत्तम रूपाला एवं मनसुख मांडविया के नामों की अटकलें लगाई जा रही हैं। सूत्रों का कहना है कि नितिन पटेल की तरह पाटीदार समुदाय से आने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है।
कोरोना में भाजपा के 4 मुख्यमंत्री बदले
आपको बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में पद छोड़ने वाले रूपाणी चौथे मुख्यमंत्री हैं। भाजपा ने हाल में ही लिंगायत समुदाय से आने वाले दिग्गज नेता बी एस येदियुरप्पा की जगह कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में एक अन्य लिंगायत नेता बसवराज बोम्मई को नियुक्त किया। उत्तराखंड में उसने दो मुख्यमंत्रियों को एक के बाद एक हटाया और फिर एक अन्य ठाकुर नेता को कुर्सी पर बैठाया। असम में भी भाजपा ने पांच साल मुख्यमंत्री रहे सर्बानंद सोनोवाल की जगह इस बार विधानसभा चुनाव के बाद हिमंत बिस्व सरमा पर दांव लगाया।