रतन टाटा का अपमान करने वाली फोर्ड मोटर ने भारत से बोरिया बिस्तर समेटा,हजारों कर्मचारी होंगे बेरोजगार, जानिए क्या होगा ग्राहकों का

अमेरिकी कंपनी फोर्ड मोटर ने भारत में अपना कारोबार बंद करने का फैसला किया है। भारतीय बाजार में फोर्ड देसी और जापान-कोरिया की कंपनियों के सामने टिक नहीं पाई। भारत में अपनी पहचान बनाने के लिए लगभग तीन दशकों के संघर्ष के बाद, अमेरिका की प्रमुख वाहन कंपनी फोर्ड मोटर कंपनी ने कहा कि वह देश के अपने दो संयंत्रों में वाहन उत्पादन बंद कर देगी और केवल आयातित वाहनों को ही बेचेगी।

4000 कर्मचारी और 150 डीलरों पर असर

फोर्ड मोटर इंडिया ने अपने चेन्नई (तमिलनाडु) और साणंद (गुजरात) संयंत्रों में लगभग 2.5 अरब डॉलर का निवेश किया है। हालांकि, पिछले 10 वर्षो के दौरान कंपनी को करीब दो अरब डॉलर का एकीकृत परिचालन नुकसान हुआ है। कंपनी के भारत में उत्पादन बंद करने के फैसले से से करीब 4,000 कर्मचारी और ऐसे 150 डीलर प्रभावित होंगे जो करीब 300 बिक्री केन्द्रों का कामकाज संभालते हैं। वाहन विनिर्माण परिचालन को बंद करने के साथ कंपनी इन संयंत्रों से उत्पादित इकोस्पोर्ट, फिगो और एस्पायर जैसे वाहनों की बिक्री बंद कर देगी।

कभी रतन टाटा को बुलाकर किया था अपमानित

वर्ष 1998 में टाटा मोटर्स ने इंडिका के साथ पैसेंजर कार बिजनेस में कदम रखा था। लेकिन उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिलने पर टाटा संस के तत्कालीन चेयरमैन रतन टाटा ने पैसेंजर कार बिजनेस को बेचने का फैसला किया और उनकी इस पेशकश को फोर्ड मोटर ने स्वीकार कर लिया था। फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने अमेरिका के डेट्रायट मुख्यालय में रतन टाटा को बातचीत के लिए बुलाया। पहले तो रतन टाटा को घंटो इंतजार करवाया गया और मुलाकात के दौरान फोर्ड के चेयरमैन ने टाटा पर तंज कसते हुए कहा कि जब पैसेंजर कार बिजनेस के बारे में कोई जानकारी नहीं तो कारोबार में हीं क्यों उतरे। फोर्ड ने यहां तक कहा कि टाटा के पैसेंजर कार बिजनेस को खरीदकर वह रतन टाटा पर बड़ा उपकार करेंगे। यह बात टाटा को इतनी खराब लगी कि उन्होंने पैसेंजर कार बिजनेस बेचने का फैसला त्याग दिया और भारत चले आए।

सिर्फ 9 साल में टाटा ने सिखाया सबक

वैश्विक मंदी के दौर में जब सारी दुनिया की कंपनियों के साथ फोर्ड मोटर कराह रही थी तब रतन टाटा के नेतृत्व ने टाटा मोटर्स ने फोर्ड के लिए मुसीबत बन चुके जगुआर और लैंड रोवर (जेएलआर) का कारोबार उससे खरीद लिया। तब फोर्ड के उसी चेयरमैन बिल फोर्ड ने टाटा से कहा कि आपने हमारी बड़ी मदद की है। बात यहीं नहीं खत्म हुई टाटा मोटर्स ने घाटे में चल रहे जेएलआर को सबसे फायदे वाला बिजनेस भी बना दिया।