नई दिल्ली। अक्सर आप खबर पढ़ते हैं कि फर्जी पैकर्स एंड मूवर्स कंपनी लोगों का सामान या कार लेकर गायब हो गई। अनेक लोग लाखों रुपए का घर एवं कंपनी का कीमती सामान या महंगी गाड़ी गंवा बैठते हैं। कोरोना महामारी के बाद बढ़े डिजिटल उपयोग ने इसे और तेज कर दिया है और हर दिन दो से तीन ऐसे मामले आ रहे हैं जिनमें फर्जी कंपनियां सामान लेकर गायब हो रही हैं। ऐसे में पैकर्स मूवर्स कंपनियों के शीर्ष संगठन मूवर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एमएफआई) ने इस क्षेत्र में तेजी से आ रही फर्जी कंपनियों से लोगों को बचने की अपील की है।
25 और 26 मार्च को दिल्ली में एमएफआई की 5वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई । एमएफआई के प्रवक्ता और सचिव अनूप मिश्रा ने बताया कि संगठन इंडस्ट्री में गुणवत्ता के उच्च मानकों के लिए कटिबद्ध है और अपने सदस्यों के काम काज पर कड़ी नजर रखता है। उन्होंने कहा कि पांच अरब डॉलर के इस उद्योग में सीधे तौर पर 40 से 45 लाख लोगो को रोजगार मिला हुआ है। जबकि अप्रत्यक्ष रूप की संख्या कई गुना ज्यादा है। संगठन का कहना है कि उपभोक्ताओ से सीधे जुड़ा हुआ बेहद संवेदनशील उद्योग है जिसमें कंपनियों की पहुंच लोगों के बेडरूम और लिविंग रूम तक होती है। इसके बावजूद इस उद्योग के लिए लाइसेंस की कोई नीति नहीं है और फर्जी कंपनियां महज एक मोबाइल सिम के जरिये अपना काम शुरू कर देती हैं। वह भाड़े के मजदूर और भाड़े की गाड़ी के जरिये उपभोक्ताओं के घर का सामान पैक करवाती हैं और निर्धारित स्थान पर पहुंचाने की बजाय से बीच रास्ते में कहीं बेच देती हैं। शिकायत के बाद ऐसी कंपनियों को ढुंढना मुश्किल होता है क्योंकि उनका कोई रिकॉर्ड नहीं होता है।