प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने हिंदुस्तान जिंक लि. (Hindustan Zinc) में सरकार की बाकी बची 29.58 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दे दी है। इस बिक्री से सरकार को करीब 38,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
एचपीसीएल का निजीकरण रुकने के बाद फैसला
सूत्रों ने बताया कि तीन में से दो बोलीदाताओं के पीछे हटने के बाद भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) का निजीकरण रुक गया है। इसके बाद सरकार ने हिंदुस्तान जिंक के निजीकरण का फैसला किया है। इसके अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) के निजीकरण में भी प्रक्रियागत देरी हो है। बीएसई में हिंदुस्तान जिंक का शेयर बुधवार को 3.14 प्रतिशत चढ़कर 305.05 रुपये पर बंद हुआ। दिन में कारोबार के दौरान यह 317.30 रुपये के उच्चस्तर तक गया था।
आपको बता दें कि सरकार ने 2002 में हिंदुस्तान जिंक में अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की अगुवाई वाले वेदांता (Vedanta) समूह की स्टरलाइट को 40.5 रुपये प्रति शेयर के मूल्य पर बेची थी। एक साल बाद समूह ने सरकार से कंपनी की 18.92 प्रतिशत और हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। इन दो लेनदेन में सरकार को 769 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।