पटना। भाजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए उम्दवारों की पहली सूची जारी कर दी है जिसमें 71 प्रत्याशियों के नाम हैं। इनमें एक नाम बिहार के चितौड़गढ़ कहे जाने वाले औरंगाबाद विधानसभाल से त्रिविक्रम नारायण सिंह का है जो भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह के पुत्र हैं।
एक तीर से दो निशाने
औरंगाबाद से त्रिविक्रम नारायण सिंह को चुनाव मैदान में उतारकर भाजपा ने यहां एक तीर से दो निशाने साधे हैं। यहां से टिकट के दावेदारों में पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह और एक पूर्व विधायक के साथ कई स्थानीय नेता शामिल थे। लेकिन सभी एक दूसरे का कड़ा विरोध कर रहे थे। ऐसे मेंं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह के बेटे त्रिविक्रम नारायण सिंह को टिकट देकर भाजपा ने स्थानीय नेताओं के एक दूसरे की खिलाफत के आक्रोश को शांत कर दिया है। वहीं राजपूत बहुल क्षेत्र होने के कारण राजपूत मतदाताओं को एकजुट रखने का प्रयास किया है।
स्थानीय -बाहरी कोई मुद्दा नहीं

कुछ हलकों में त्रिविक्रम नारायण सिंह की उम्मीदवारों पर बाहरी होने को लेकर विरोध के स्वर भी देखने को मिले हैं। लेकिन बिहार की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि पहली बात यह है कि गोपाल नारायण सिंह जो त्रिविक्रम नारायण सिंह के पिता हैं वह रोहतास के रहने वाले हैं। रोहतास और औरंगाबाद के नेता एक दूसरे के क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ते रहे हैं और यहां की बोली-भाषा एक है। ऐसे मेें त्रिविक्रम सिंह को बाहरी कहने का कोई तुक नहीं है। दूसरी बात गोपाल नारायण सिंह भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और सर्वमान्य नेता रहे हैं। बिहार की राजनीति में जाति का बोलबाला होने के बावजूद वह सभी जातियों में लोकप्रिय रहे हैं जिसकी एक बड़ी वजह उनका सौम्य स्वभाव और किसी भी पद पर रहते हुए आम लोगों के लिए हमेशा सुलभ रहना है। ऐसे में भाजपा कायकर्ताओं को मालूम है कि वह अघोषित रूप से त्रिविक्रम नारायण सिंह को नहीं बल्कि गोपाल नरायण सिंह के लिए लड़ रहे हैं।
लोकसभा चुनाव का बदला लेने की बारी
विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने औरंगाबाद मेेंं बहुत ही सधी हुई रणनीति के साथ फैसला किया है। लोकसभा चुनाव मैं वहां सांसद सुशील सिंह हार गए थे। जबकि शाहाबाद क्षेत्र की काराकाट, आरा और बक्सर में भी एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था। अब त्रिविक्रम नारायण सिंह को टिकट देकर शाहाबाद क्षेत्र के विधानसभा सीटों पर गोपाल नारायण सिंह की छवि को भाजपा भूना सकती है। वहीं अब औरंगबाद हाई प्रोफाइल सीट है जिससे वहां शीर्ष केन्द्रीय की भी नजर रहेगी