बिहार (Bihar) के लिए एक बड़ी खबर (Big news) है। बिहार के पुरातत्व और अपने समृद्ध इतिहास की परतों पर पड़ी धूल को उतारने की दिशा में ब्रिटेन (united kingdom) की मशहूर कार्डिफ विश्वविद्यालय सहयोग करेगा। इसके लिए बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग के अधीन कार्यरत बिहार विरासत विकास समिति (बीएचडीएस) और कार्डिफ यूनिवर्सिटी (Cardiff University) में करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुआ है। माना जा रहा है कि अब बिहार में पुरातन इतिहास की खोज का काम तेज होगा। कार्डिफ यूनिवर्सिटी अकादमिक, वैज्ञानिक पुरातात्विक अन्वेषण में कला संस्कृति विभाग का सहयोग करेगा।
बिहार के इन जिलों में होगी खोज
कला संस्कृति विभाग की सचिव तथा बीएचडीएस की मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी वंदना प्रेयसी (bandana preyashi) ने बताया कि इस समझौते के तहत पुरातत्व और पुरातन इतिहास से समृद्ध खासतौर से पांच जिलों पटना, जहानाबाद, गया, नवादा और नालंदा के पहाड़ों व टीलों के इतिहास की खोज होगी। एमओयू पर कार्डिफ यूनिवर्सिटी के पुरातत्व, इतिहास और धार्मिक अध्ययन स्कूल के हेड प्रो. जेम्स हेगड़ी और बिहार विरासत विकास समिति के कार्यपालक निदेशक डॉ. विजय कुमार चौधरी ने हस्ताक्षर किया है। विजय कुमार चौधरी और प्रो. मैक्स डीग इस समझौते में दोनों पक्षों से शोध निदेशक बनाए गए हैं।
इस करार से होगा यह फायदा
वंदना प्रेयसी ने कहा कि पुरातत्व और उसके अन्वेषण के क्षेत्र में कार्डिफ यूनिवर्सिटी के साथ काम करने से हमें खासतौर से वैज्ञानिक मदद मिलेगी। अनुभव का भी आदान-प्रदान होगा। दूसरी तरफ यूके के इस विवि को भी बिहार के समृद्ध ऐतिहासिक स्थल की सही जानकारी मिल सकेगी। इस करार के तहत दोनों पक्ष अपने-अपने काम का खर्च वहन करेंगे। बिहार को तीन साल तक विवि की मुफ्त मदद मिलेगी।