जम्मू कश्मीर, 13 जुलाई (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने बड़ा बदलाव किया है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 में संशोधन कर दिया है। इससे प्रदेश में उपराज्यपाल की ताकत और बढ़ जाएगी।
पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित कार्यों में उपराज्यपाल का दायरा बढ़ जाएगा। नियमों में संशोधन के बाद राज्य के सरकारी अफसरों के तबादले के लिए उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होगी।
केंद्र सरकार के इस फैसले का जम्मू की पीडीपी ने विरोध किया है। पीडीपी के प्रवक्ता वीरेंद्र सिंह सोनू ने कहा कि आज जम्मू कश्मीर के लोगों को बता दिया गया है कि उनके वोट की कोई कीमत नहीं है। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने की बात कही है, लेकिन यह किस तरह का चुनाव होगा, जहां प्रदेश सरकार के पास कोई भी अधिकार नहीं होगा।
हमारे चुने हुए विधायक, मंत्रिमंडल और मुख्यमंत्री कोई फैसला खुद नहीं कर सकेंगे। सरकार किसी भी अधिकारी के ट्रांसफर के साथ कोई प्रशासनिक निर्णय नहीं ले सकती है। चुनाव होगा भी तो मेरा विधायक क्या कर पाएगा ? हमारा मुख्यमंत्री क्या करेगा, जब उसके पास कोई अधिकार ही नहीं रहेगा। वो लोग चुने हुए नेताओं को उपराज्यपाल के नीचे रखना चाहते हैं। ये लोग सब कुछ अपने पास रखना चाहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी की हकीकत सबके सामने आ गई है। आज जम्मू के लोगों के लिए बेहद बुरा दिन है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को तबाह कर दिया है। डेमोक्रेसी को खत्म करने वाला यह फैसला लिया गया है। केंद्र सरकार 25 जून को ‘काला दिवस’ मनाने जा रही है। मैं उनसे कहूंगा कि 5 अगस्त 2019 को भी ‘काले दिवस’ के रूप में मनाया जाए।
बता दें , सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करके उपराज्यपाल की प्रशासनिक शक्तियों को बढ़ा दिया है।
अब उपराज्यपाल के पास ऑल इंडिया सर्विस, पुलिस-प्रशासन और कानून व्यवस्था से जुड़े सभी मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए पहले से ज्यादा अधिकार होंगे।
–आईएएनएस
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