केंद्र सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति के निपटान के लिए कल केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शत्रु संपत्ति के बारे में जारी किए गए नए दिशानिर्देशों का चाँदनी चौक से सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने स्वागत करते हुए कहा कि ये दिशानिर्देश काफ़ी समय से लंबित थे जिनको हल करने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम बेहद महत्वपूर्ण और प्रगतिशील हैं जिससे दिल्ली सहित देश भर में बड़ी संख्या में लोगों को उनका वाजिब अधिकार प्राप्त होगा।
क्या है शत्रु संपत्ति
देश के विभाजन के समय या फिर 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद चीन या पाकिस्तान जाकर अनेक लोग बस गए और उन्होंने वहाँ की नागरिकता ले ली हो और जिन संपत्तियों में वो रहे थे, इन्हें शत्रु संपत्ति कहा जाता है। भारत के रक्षा अधिनियम, 1962 के तहत सरकार उनकी संपत्ति को ज़ब्त कर सकती है और ऐसी संपत्ति के लिये अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन) नियुक्त कर सकती है। अतः देश छोड़कर जाने वाले ऐसे लोगों की भारत में मौजूद संपत्ति शत्रु संपत्ति कहलाई जाती है। एक जानकारी के अनुसार इन संपत्तियों की अनुमानित लागत 1 लाख करोड़ रुपए है। दिल्ली में ही पहाड़गंज, क़रोल बाग,सदर बाज़ार, चाँदनी चौक सहित विभिन्न स्थानों पर अनेक शत्रु संपत्तियाँ है और जो लोग रह रहे हैं, उन्हें इन संपत्तियों का मालिकाना हक़ अभी तक नहीं मिलता था।
पहले से रह रहे लोगों को फायदा
श्री खंडेलवाल ने कहा कि इन दिशानिर्देशों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में ₹1 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में ₹5 करोड़ तक की क़ीमत वाली शत्रु संपत्ति को ख़रीदने का पहला अधिकार उस व्यक्ति का होगा जो पहले से ही उन संपत्तियों में रह रहे हैं। यह कदम उन निवासियों के लिए न्याय सुनिश्चित करता है जो वर्षों से इन संपत्तियों पर रह रहे हैं, और उन्हें अपने घरों या व्यवसायों का मालिक बनने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है, जिनमें से कई पीढ़ियों से लोग इन संपत्तियों पर डसकों से रह रहे हैं। सरकार द्वारा अपनाया गया यह दृष्टिकोण इन निवासियों के जीवन में अत्यधिक राहत और स्थिरता लाएगा, और उन्हें स्वामित्व प्राप्त करने का स्पष्ट मार्ग प्रदान करेगा।
आर्थिक संभावनाओं का दोहन संभव होगा
श्री खंडेलवाल ने कहा कि शत्रु संपत्तियों में दशकों से रहने वाले लोगों के अधिकारों को प्राथमिकता देकर, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक संतुलित और जन-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया है, जो इस लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ सुलझाने की दिशा में है। ये दिशानिर्देश राष्ट्रीय आर्थिक विकास और संपत्ति के नियमितीकरण के व्यापक उद्देश्य के साथ भी मेल खाते हैं, जिससे इन संपत्तियों से जुड़ी आर्थिक संभावनाओं का दोहन संभव होगा।श्री खंडेलवाल ने कहा कि इस विचारशील और समावेशी पहल देश भर में व्यक्तियों और समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी।