खेती में डिजिटल क्रांति गांव के युवाओं को लखपति बनाकर मालामाल कर सकती है। इससे उन्हें नौकरी के लिए शहर जाने की मजबूरी नहीं रह जाएगी। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशंस (एफएआईएफए) ने सरकार की योजनाओं और कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए यह बात कही है।
उत्तर प्रदेश समेत इन राज्यों के किसानों को फायदा
नई दिल्ली, 18 सितंबर 2024: उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक आदि राज्यों में वाणिज्यिक फसलों के लाखों किसानों एवं कृषि श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाली गैर-लाभकारी संस्था फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशंस (एफएआईएफए) ने कृषि में डिजिटल क्रांति शुरू करने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की है। फेडरेशन का कहना है कि यह कदम कृषि से युवाओं के पलायन को रोकने में अहम भूमिका निभाएगा।
सरकार की सात योजनाओं से बदलेगी तकदीर
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली सात क्रांतिकारी कृषि योजनाओं के शुभारंभ को इस क्षेत्र के लिए एक ‘जीवन रेखा’ बताते हुए एफएआईएफए के प्रेसिडेंट श्री जावरे गौड़ा ने कहा, ‘यह नई योजना केवल तकनीकी एकीकरण के बारे में नहीं है। यह जलवायु परिवर्तन एवं बाजार की अनिश्चितताओं से जुड़े कृषि संकट को दूर करने में भी मदद करेगी। इन अनिश्चितताओं ने हमारे युवाओं के लिए कृषि को अलाभकारी बना दिया है। हम डिजिटल क्रांति की सफलता की ही तरह कृषि को फिर से जीवंत करने के इस तरह के दूरदर्शी दृष्टिकोण के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हैं।’
संतुलित शहरी-ग्रामीण विकास देखने को मिलेगा
इन योजनाओं से नई नौकरियां सृजित होने की संभावना है। विभिन्न स्किल सेट की मांग एवं सृजन से आने वाले समय में ग्रामीण भारत के युवाओं के लिए और अधिक अवसर खुलेंगे। इसके अलावा, अधिक अवसरों का अनुभव करने से युवाओं को शहरों की ओर जाने की बेचैनी नहीं होगी और इससे शहरों पर मौजूदा दबाव भी कम होगा। असल में इससे रिवर्स माइग्रेशन भी हो सकता है, जिससे हमें अधिक संतुलित शहरी-ग्रामीण विकास देखने को मिल सकता है।
एआई और रिमोट सेंसिंग जैसी तकनीक हो रही कारगर
भारत में कृषि के साथ एआई, बिग डाटा और रिमोट सेंसिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इनमें से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र ‘डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन’ है, जिसका वित्तीय आवंटन 2,817 करोड़ रुपये है। इसे मिलाकर भारत के कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से कुल निवेश 13,966 करोड़ रुपये का हो गया है। डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (डीएएम) का एक प्रमुख घटक एग्री स्टैक का विकास है, जिसमें किसानों की रजिस्ट्री, ग्राम भूमि मानचित्र रजिस्ट्री और बोई गई फसल की रजिस्ट्री शामिल होगी। यह एग्री स्टैक एक व्यापक डाटाबेस के रूप में कार्य करेगा, जिसके माध्यम से किसान, भूमि उपयोग एवं फसल पैटर्न को लेकर विस्तृत रिकॉर्ड बनाकर रखा जाएगा।
उपज एवं बीमा मॉडलिंग टूल्स भी शामिल होंगे
मिशन का एक और महत्वपूर्ण घटक कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (डिसीजन सपोर्ट सिस्टम) है। यह प्रणाली भू-स्थानिक डाटा, सूखा एवं बाढ़ निगरानी, मौसम एवं उपग्रह सूचना और भूजल उपलब्धता के माध्यम से किसानों को पर्याप्त जानकारी के साथ निर्णय लेने में मदद करेगी। इसमें योजना बनाने एवं जोखिम प्रबंधन में किसानों की सहायता के लिए उपज एवं बीमा मॉडलिंग टूल्स भी शामिल होंगे।
देश को दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में करेगा मदद
एफएआईएफए के महासचिव श्री मुरली बाबू ने कहा, ‘कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति एक बड़ा बदलाव लाएगी, क्योंकि इसमें मुख्य एवं संबद्ध क्षेत्रों में लाखों नौकरियां पैदा करने की क्षमता है। यह डिजिटलीकरण न केवल इस क्षेत्र में जान फूंकेगा, बल्कि सुनिश्चित करेगा कि कृषि क्षेत्र भारत में सबसे बड़ा नियोक्ता बना रहे। डिजिटल क्रांति से कृषि में जो दक्षता आएगी, उसका दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भारत की महत्वाकांक्षा पर बहुत बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’
खाद्य सुरक्षा हो सकेगी सुनिश्चित
सरकार का लक्ष्य इन पहलों के माध्यम से किसानों को जलवायु के अनुकूल फसल विज्ञान से लैस करना और 2047 तक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह धनराशि नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा का आधुनिकीकरण भी करेगी।