नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)। भारत विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों का एक देश है, जो पूरी दुनिया के लिए अनेकता में एकता का शाश्वत उदाहरण है। इस देश को एकसूत्र में बांधने का काम हिंदी भाषा करती है। हिंदी को ‘भारत की आत्मा’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस भाषा के जरिए आप पूर्व से पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक जुड़ सकते हैं। कहने का मतलब, हिंदी भारत के माथे पर लगी बिंदी है।
हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। इसी दिन 1949 में संविधान सभा ने हिंदी (देवनागरी लिपि) को भारत की राजभाषा के रूप में मान्यता दी। इस लिहाज से यह दिन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। हिंदी दिवस ना सिर्फ हिंदी भाषा की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रतीक है। इसके अलावा देश की सांस्कृतिक एकता का भी प्रतिनिधि है। आज दुनिया के कई देशों की विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है तो कई देशों में आधिकारिक भाषा है।
इन देशों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल और फिजी का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। पाकिस्तान बंटवारे के पहले तक भारत का हिस्सा था। हालांकि, विभाजन के बाद भी पाकिस्तान में हिंदी भाषा बोली जाती है। पाकिस्तान में उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची से लेकर अंग्रेजी तक सुनने को मिलता है। वहीं, बड़ी संख्या में लोग हिंदी में भी बात करते हैं। खास बात यह है कि उर्दू भाषा के कई शब्द भी हिंदी से लिए गए हैं।
अफगानिस्तान से लेकर फिजी तक आपको हिंदी में बोलते लोग दिख जाएंगे। 1997 के फिजी के संविधान के मुताबिक हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला हुआ है। अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों काबुल और कंधार (गंधार प्रदेश) का जिक्र महाभारत में है। भारत के प्राचीन महाकाव्य में राजा शकुनी के प्रदेश को गंधार नाम से संबोधित किया गया है। यहां की एक बड़ी आबादी भी हिंदी बोल-समझ सकती है।
भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में भी हिंदी को विशेष दर्जा मिला हुआ है। बांग्लादेश की आधिकारिक भाषा बांग्ला है। यहां बड़ी संख्या में हिंदू भी रहते हैं और हिंदी भाषा का भी खूब इस्तेमाल करते हैं। यहां हिंदी और बांग्ला दोनों को प्रमुख भाषा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसी तरह मॉरीशस में भी हिंदी काफी प्रसिद्ध है। यहां की संसद में भी लोग हिंदी भाषा में संबोधित करते हैं।
अगर दुनिया की महाशक्ति अमेरिका की बात करें तो यहां अंग्रेजी का चलन है। यहां की पेशेवर भाषा अंग्रेजी है। एक अनुमान के मुताबिक यहां करीब 7 लाख लोग हिंदी बोलते हैं और उनका राष्ट्रपति चुनाव में भी खासा प्रभाव है। यही कारण है कि वहां के कई दिग्गज नेता ‘नमस्ते’, ‘जय हो’ जैसे शब्दों का सार्वजनिक प्रयोग करते दिख जाते हैं। यहां तक कि अमेरिका के 12 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है।
दक्षिण अफ्रीका में भी हिंदी को विशेष दर्जा मिला हुआ है। दक्षिण अफ्रीका के संविधान के मुताबिक, पैन साउथ अफ्रीका लैंग्वेज बोर्ड हिंदी भाषा को संरक्षित कर रही है। जबकि, यूएई में हिंदी को तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में चुना गया है। यहां काम करने वाले अपनी मातृभाषा में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा नेपाल, थाईलैंड, टोबेगो और गुयाना जैसे देशों में भी हिंदी भाषा का अपना ही विशेष महत्व है।
आपको बता दें कि दुनिया में 60 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। अंग्रेजी और मंडारिन (चीनी भाषा) के बाद हिंदी ऐसी भाषा है जो दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाती है। यही कारण है कि हर साल 10 जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह हिंदी के बढ़ते प्रभाव को ना सिर्फ दिखाता है, बल्कि, दुनिया को एकसूत्र में जोड़ने की कोशिश करता हुआ भी दिख रहा है।
–आईएएनएस
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