दिल्ली के डॉक्टरों ने दिल में छेद वाले डेढ़ महीने के बच्चे को दिया जीवनदान

नई दिल्ली, 3 सितंबर (आईएएनएस)। ओखला के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने 1.8 किलोग्राम वजन वाले डेढ़ महीने के शिशु के दिल में छेद का सफलतापूर्वक इलाज करने के बाद उसे नया जीवन दिया है।

बच्चे को सांस लेने में कठिनाई, सेप्सिस जैसे लक्षण, हार्ट फेलियर के लक्षण, हृदय गति में वृद्धि, अत्यधिक पसीना आना, दूध पीने में असमर्थता, लीवर का बढ़ना और वजन न बढ़ने जैसी गंभीर स्थिति में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ओखला लाया गया था।

एक इकोकार्डियोग्राम से पता चला कि बच्चे के दिल में एक छेद था, जिसे पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (पीडीए) भी कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति जहां जन्म से पहले और जन्म के तुरंत बाद शिशुओं में एक अतिरिक्त रक्त वाहिका पाई जाती है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ओखला में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. नीरज अवस्थी ने कहा , ” पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (पीडीए) बच्चों में एक जन्मजात स्थिति है, जो शिशुओं में मल्टी-ऑर्गन डिस्फंक्शन का कारण बन सकती है और इसका निदान अक्सर नहीं किया जाता है। बच्चा बेहद गंभीर स्थिति में था और उसका वजन बहुत कम था।”

जन्‍म के पहले कुछ दिनों में अधिकांश स्वस्थ दिल वाले बच्चों में पीडीए स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है। बढ़ी हुई खुली पीडीए फेफड़ों में बढ़े हुए रक्त प्रवाह का कारण बन सकती है, जिससे मल्टी-ऑर्गन फेलियर हो सकता है। श्वसन संबंधी परेशानी के कारण एंटीबायोटिक्स और अन्य उपचार लेने के बाद नवजात की हालत खराब हो गई।

जबकि पीडीए बंद करने के लिए अक्सर सर्जरी की जाती है, इस मामले में नवजात शिशु की कई कोमोर्बिडिटी और नाजुक स्थिति ने सर्जरी को बहुत खतरनाक बना दिया। इसके बजाय पिकोलो डिवाइस का उपयोग करके एक गैर-सर्जिकल दृष्टिकोण अपनाया गया।

पिकोलो डिवाइस को पैर में एक छोटे से चीरे के माध्यम से डाला जाता है और वाहिकाओं के माध्यम से दिल तक ले जाया जाता है, जहां इसका उपयोग दिल में खुले हुए छेद को बंद करने में किया जाता है।

अवस्थी ने कहा, ”इतने कम वजन के साथ दिल के छेद का इलाज करना यहां सबसे बड़ी चुनौती थी। इसलिए शिशु के कम वजन और सिस्टमिक इन्फ्लेमेशन के कारण, हमने सर्जरी के बिना पीडीए डिवाइस का उपयोग करके छेद को बंद करने का फैसला किया, जो एक जटिल और कम उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया है।”

डॉक्टर ने कहा, “अगर बच्ची का समय पर इलाज नहीं किया गया होता, तो उसकी जान बचाना मुश्किल हो जाता। चार दिनों के बाद शिशु को स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी गई थी।”

डॉक्टर ने कहा कि बच्चे का हृदय अब सामान्य रूप से काम कर रहा है, उसका वजन बढ़ गया है और 6 सप्ताह के फॉलो-अप के बाद वह स्वस्थ है।

–आईएएनएस

एमकेएस/जीकेटी