चर्चा में आए बगैर चुपचाप रहकर काम करना पसंद करने वाले उद्योगपति साइरस मिस्त्री अपेक्षाकृत कम उम्र में ही कॉरपोरेट जगत की ऊंचाइयों पर पहुंच गए थे। वह मृदुभाषी होने के साथ स्पष्टवादी भी थे। टाटा समूह की प्रतिनिधि कंपनी टाटा संस के वह छठे और सबसे युवा चेयरमैन रहे। जब वर्ष 2012 में वह चेयरमैन बने तो उनकी उम्र सिर्फ 44 साल थी।
2 करोड़ डॉलर के कारोबार को 75 गुना बढ़ाया
मिस्त्री की अगुआई में शापूरजी पलोनजी का निर्माण कारोबार दो करोड़ डॉलर से बढ़कर 1.5 अरब डॉलर हो गया था। उन्होंने महज 18 साल की उम्र में अपने परिवार की कंपनी शापूरजी पलोनजी समूह में जिम्मेदारी संभाली थी।
जिंदगी से सबसे अधिक प्यार और काम में कोई समझौता नहीं
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखर ने मिस्त्री के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि मिस्त्री को जिंदगी से प्यार था। चंद्रशेखर ने एक बयान में कह कि साइरस मिस्त्री के असामयिक एवं अचानक निधन से मैं बहुत दुखी हूं। उन्हें जीवन से प्यार था और यह बहुत ही दुख की बात है कि वह इतनी कम उम्र में चल बसे। इस कठिन समय में उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। टाटा संस की कमान मिस्त्री के हाथों में रहने के दौरान उनके साथ काम कर चुके मुकुंद राजन ने कहा कि वह टाटा समूह के मूल्यों को बनाए रखना चाहते थे और उन्होंने अपनी टीम के प्रत्येक सदस्य के समक्ष कड़ी मेहनत और जिम्मेदारी से काम करने की मिसाल रखी थी।