चंपई सोरेन के इलाके में पहुंचकर बोले हेमंत सोरेन, ‘भाजपा के नापाक इरादों का मुंहतोड़ जवाब देंगे’

रांची, 28 अगस्त (आईएएनएस)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र सरायकेला-खरसावां पहुंचकर भारतीय जनता पार्टी पर उनकी सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। ‘मईयां सम्मान योजना’ के तहत कोल्हान प्रमंडल की महिला लाभार्थियों के बैंक खातों में सहायता राशि ट्रांसफर करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि 2019 में “जिस दिन हमारी सरकार बनी, उसी दिन से सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचा जाना लगा”।

हेमंत सोरेन ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी को जिन प्रदेशों में सरकार बनाने के लिए जनादेश नहीं मिलता है, वहां धन-बल की बदौलत और ईडी-सीबीआई जैसी एजेंसियों के जरिए विधायकों, मंत्रियों को डराकर सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र करते हैं। हम भाजपा के नापाक इरादों का मुंहतोड़ जवाब देंगे।”

उन्होंने भाजपा पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं तो एक बार फिर ये कभी आदिवासी-मुस्लिम, कभी हिंदू-मुस्लिम तो कभी अगड़ा-पिछड़ा के नाम पर लड़ाने वाले भाषण दे रहे हैं। इनके नेताओं को सभी अल्पसंख्यक बांग्लादेशी और घुसपैठिए दिखते हैं। ये लोग समाज को बांटने और जहरीले भाषण देने के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्यों से नेताओं को बुला रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा राजनीतिक लड़ाई में नहीं टिक पाती है तो लोगों को तरह-तरह से दिग्भ्रमित करने की कोशिश करती है।

हेमंत सोरेन ने कहा, “हम इनके खिलाफ संघर्ष से पीछे हटने वाले नहीं हैं। संघर्ष में थोड़ी-बहुत खरोंच जरूर आएगी, लेकिन हम सिदो-कान्हू, बिरसा मुंडा, नीलांबर-पीतांबर जैसे वीरों की धरती के लोग हैं। हमारी आवाज न तो कभी खत्म हुई है और न होगी।”

सोरेन ने कार्यक्रम में कोल्हा प्रमंडल के तीन जिलों सरायकेला-खरसावां, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम की करीब साढ़े छह लाख महिलाओं के खातों में एक-एक हजार रुपए ट्रांसफर किए। इस मौके पर मंत्री बेबी देवी, बन्ना गुप्ता, दीपक बिरुआ, सत्यानंद भोक्ता के अलावा कोल्हान क्षेत्र के कई विधायक उपस्थित रहे।

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी में जाने की घोषणा की है। इसे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सत्ताधारी पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।

–आईएएनएस

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