नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन टूट चुका है। इसका असर अब दिल्ली नगर निगम में भी देखने को मिल सकता है। कांग्रेस के मुताबिक, नगर निगम वार्ड समिति और स्थायी समिति की चुनाव प्रक्रिया में कांग्रेस अपना मत निष्पक्ष रखेगी।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के पांच निगम पार्षद रविवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इस घटनाक्रम पर कांग्रेस का कहना है कि जनता के बीच आम आदमी पार्टी की साख खत्म होती जा रही और इसका फायदा भाजपा ने उठाया है, और प्रलोभन देकर इन पांच पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव के मुताबिक, दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के गठन और वार्ड समितियों पर कब्जा करने के लिए भाजपा यह पैंतरा अपना रही है। अगले सप्ताह निगम में पहले वार्ड कमेटी और फिर स्थायी समिति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने कहा कि निगम में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के दो वर्षों से स्थायी समिति और वार्ड समितियों का गठन नहीं होने के कारण दिल्ली में सफाई व्यवस्था और कॉलोनियां में अन्य विकास के काम पूरी तरह से रुके हुए हैं।
यादव ने कहा कि कांग्रेस अपना मत निष्पक्ष रखेगी। हमारे 9 पार्षद कांग्रेस की विचारधारा के अनुसार कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच राजनीतिक लड़ाई दिल्ली में जनता से जुड़े हर मुद्दे पर दिखाई दे रही है, लेकिन जनता का हित, उनको अधिकार और सुविधाएं दिलाने के लिए कोई काम नहीं कर रहा है। काम न करने की शैली के कारण प्रशासनिक अधिकारियों को भी राजनीति में शामिल किया जा रहा है।
देवेन्द्र यादव का कहना है कि मुख्यमंत्री की जमानत याचिका पर सुनवाई की तारीख अगले महीने के लिए टल गई। इसके बाद आम आदमी पार्टी के विधायकों और पार्षदों के विश्वास की कमी आई है। अधिकतर ‘आप’ नेता जेल से बाहर आए मनीष सिसोदिया की पदयात्रा से भी नाखुश दिखाई दे रहे हैं। वहीं, स्थायी समिति और वार्ड कमेटी का गठन नहीं होने के कारण दिल्ली नगर निगम में काम नहीं हो पा रहा है।
–आईएएनएस
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