रिजर्व बैंक गवर्नर ने जून की मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरें बढ़ाने के दिए संकेत,फिर ईएमआई का बढ़ेगा बोझ

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने सोमवार को बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए जून की शुरुआत में मौद्रिक नीति समीक्षा (monetary policy review) में नीतिगत दर (policy rate repo rate) में एक और वृद्धि का संकेत दिया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक 6-8 जून को होगी। खुदरा महंगाई दर पिछले चार महीने से केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। रिजर्व बैंक का लक्ष्य खुदरा महंगाई को दो फीसदी घटबढ़ के साथ चार फीसदी के दायरे में नियंत्रित रखना है।

कितनी बढ़ेगी ब्याज दर

शक्तिकांत दास ने टीवी चैनल टीवी18 (TV18) (www.cnbctv18.com) से बातचीत में कहा कि नीतिगत दर में वृद्धि की संभावना है, इसमें बहुत कुछ सोचने वाली बात नहीं है। लेकिन यह वृद्धि कितनी होगी, मैं इस बारे में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं। यह कहना कि यह बढ़कर 5.15 प्रतिशत हो जाएगी, संभवत: बहुत सही नहीं है। गवर्नर ने कहा, रूस और ब्राजील को छोड़कर लगभग हर देश में ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं। विकसित देशों में मुद्रास्फीति का लक्ष्य करीब दो प्रतिशत है। जापान और एक अन्य देश को छोड़कर सभी विकसित देशों में मुद्रास्फीति सात प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। आरबीआई ने बिना किसी तय कार्यक्रम के इस महीने की शुरुआत में रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी करके सबको हैरान कर दिया था। इसके बाद सभी बैंको ने कर्ज पर ब्याज बढ़ा दिया जिससे होम लोन (Home loan), कार लोन (Car loan) समेत सभी तरह के कर्ज महंगे हो गए हैं। माना जा रहा है कि आरबीआआई जून में यदि फिर रेपो दर बढ़ाता है तो बैंक कर्ज और महंगा कर सकते हैं जिससे आपकी ईएमआई (emi) और बढ़ सकती है।

महंगाई पर अंकुश का बताया राज

दास ने कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार ने महंगाई को काबू में लाने के लिए नए सिरे से मिलकर कदम उठाने शुरू किए हैं। रिजर्व बैंक ने पिछले दो-तीन महीनों में कई कदम उठाए हैं। दूसरी तरफ, सरकार ने गेहूं निर्यात पर पाबंदी तथा पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे कदम उठाए हैं। इन सबसे महंगाई काबू में लाने में मदद मिलेगी।