समस्तीपुर, 26 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार के समस्तीपुर जिला मुख्यालय से करीब 23 किलोमीटर दूर विभूतिपुर प्रखंड के सिंघिया घाट पर नागपंचमी के दिन सांपों का अनोखा मेला लगता है। इस मेले में बच्चे से लेकर बूढ़े तक, जहरीले सांपों को गले में माला की तरह लपेटकर घूमते हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार यह सांप तंत्र-मंत्र के जरिए नदी से निकाले जाते हैं और बाद में पूजा करने के बाद इन सांपों को फिर से जंगल में छोड़ दिया जाता है।
बताया जाता है कि नागपंचमी के दिन सांपों को पकड़ने की प्रथा के तहत, सिंघिया घाट का यह मेला तीन सौ सालों से ज्यादा वक्त से लग रहा है। यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार बरसों से चले आ रहे इस मेले में आज तक किसी को भी सांप ने नहीं डसा है। इस बार 9 अगस्त को नागपंचमी है। लेकिन, सांपों के साथ झूमते भक्त और भजन गाते लोग अभी से ही दिख रहे हैं।
मान्यता के अनुसार, इस दिन सांप नदी से निकलकर लोगों के बीच आता है। हैरानी की बात यह है कि सांप भक्तों को डसता नहीं है। इस मेले के दौरान पुजारी मृदंग बजाते हैं और भजन भी गाते हैं।
इस मेले की तैयारियां दो से तीन महीने पहले ही शुरू हो जाती है। नागपंचमी के दिन स्थानीय लोग हजारों की संख्या में झुंड बनाकर नदी किनारे झोला या बोरा में सांपों को लेकर जाते हैं। इस दौरान भगत डुबकी लगाकर सांपों को नदी से निकालकर दिखाता है। इस दौरान कानून व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन भी मौजूद रहता है।
विभूतिपुर प्रखंड के अंतर्गत ही एक बेलसंडी तारा गांव है, जहां सांपों को पकड़कर पूजा की जाती है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां पहले सिर्फ नाग पंचमी पर पूजा की जाती थी। लेकिन, भगत के करतब को देख यहां भी सांप पकड़ने का सिलसिला शुरू हो गया। यहां की रहने वाली एक महिला इंदु देवी दो वर्षों से सांपों के साथ पूजा करने लगी हैं। वह अपने गले में सांप को लपेटकर सैकड़ों झुंडों के साथ ढोल की धुन पर थिरकते नजर आती हैं।
इंदु देवी ने बताया कि उसे सपने में खुद सांप ने आकर ऐसा करने के लिए कहा था।
हालांकि, कुछ लोग इसे महज अंधविश्वास का एक खेल बताते हैं। इन लोगों का कहना है कि सांपों के दांतों को तोड़ दिया जाता है और यह एक क्रूर बर्ताव है। बाद में इन सांपों की मौत भी हो जाती है।
–आईएएनएस
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