नई दिल्ली स्थित कंस्टीटूशन क्लब ऑफ़ इंडिया में आयोजित एक शानदार समारोह में एक नवोन्मेषी एवं उभरती हुई कंपनी, स्पार्क ऑफ़ लाइट्स एजुकेशन द्वारा निर्मित एक अनोखा वेलबीइंग ऐप विश्वविद्यालयों के कुलपति सरीखे गणमान्य शिक्षाविदों द्वारा समाज को समर्पित किया गया। भारतीय परिप्रेक्ष्य में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व क्रान्ति लाने के उद्देश्य से स्पार्क ऑफ़ लाइट्स एजुकेशन (मूलतः पोर्ट विक्टोरिया मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया) कंपनी की निदेशक एवं सह-संस्थापिका संगीता वशिष्ठ ने समारोह में कंपनी के व्यापक दृष्टिकोण को साझा किया: “कल्याण क्रांति लाने के लिए। खुशहाल और समृद्ध समुदाय बनाने के लिए”। आज के युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताते हुए, उन्होंने एन.सी.ई.आर.टी के एक व्यापक सर्वे के हवाले से आत्महत्या और अनुपचारित अवसाद में वृद्धि को सबसे खतरनाक विशेषताओं के रूप में चिह्नित किया।
अमेरिका के ऑक्सफ़ोर्ड, पेनसिलवेनिया, एवं ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से पढ़ी, भारत में जन्मी एवं पली संगीता वशिष्ठ ऑस्ट्रेलिया में गत कई वर्षों से शिक्षण एवं शैक्षणिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी अथक सेवाएं प्रदान कर रही हैं। स्वदेश में सेवा की भावना से प्रेरित हो इन्होने स्पार्क ऑफ़ लाइट्स एजुकेशन की आदित्य वशिष्ठ के साथ स्थापना की। एक सफल महिला उद्यमी और एक बदलाव निर्माता के रूप में संगीता ने अपनी अलग पहचान बनायी है, और युवाओं तथा वयस्कों में कोविड 19 महामारी के बाद और भी बदल चुके इस आधुनिक दौर की कठिन चुनौतियों का मुकाबला करने की क्षमता विकसित करने की मंशा से इस सुलभ, सुगम वेल्बीइंग ऐप की अवधारणा की है।
अपने वक्तव्य में संगीता ने स्पार्क ऑफ लाइट्स द्वारा उपयोग की जाने वाली विधियों औरउपकरणों के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें वेलबीइंग जर्नल्स और ऐप, वर्कशॉप और वेबिनार, और वर्तमान समय की जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा डिज़ाइन किए गए समर्पित प्रशिक्षण मॉड्यूल शामिल हैं। गूगल प्ले के ऐप स्टोर से मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध इस ऐप में कई टूल और गतिविधियां शामिल हैं जो लोगों को रोज़मर्रा के तनाव को दूर करने, रचनात्मकता, कल्पना, ध्यान और फोकस में सुधार करने, भावनाओं और मनोदशा को ट्रैक करने और उपयोगकर्ता को एक खुशहाल और समृद्ध जीवन जीने में मदद कर सकती हैं। समारोह में कई महत्वपूर्ण शिक्षाविद, सरकारी अधिकारी और समाचार मीडिया कर्मी शामिल हुए।