ईरान को शाहीन-3 बैलिस्टिक मिसाइलें दे सकता है पाकिस्तान : रिपोर्ट

यरूशलम, 8 अगस्त (आईएएनएस)। तेल अवीव और वाशिंगटन की चिंता बढ़ाने वाली एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि अगर ईरान का इजरायल के साथ संघर्ष आगे बढ़ता है तो पाकिस्तान तेहरान को शाहीन-3 मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों की आपूर्ति कर सकता है।

कई अरब स्रोतों का हवाला देते हुए, इजरायली दैनिक जेरूसलम पोस्ट ने बताया कि पाकिस्तान ने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की हाल ही में हुई बैठक में ईरान को मध्यम दूरी की मिसाइलें देने की अपनी इच्छा पर चर्चा की।

मंगलवार को अमेरिकी प्रशासन ने भी संकेत दिया था कि वह इस क्षेत्र से आने वाली ऐसी रिपोर्ट से अवगत है।

क्‍या बाइडेन प्रशासन ने इस मुद्दे पर इस्लामाबाद से बात की है, यह पूछे जाने पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने कहा, ”हम इजरायल के प्रति अपने समर्थन में बहुत स्पष्ट हैं और हमने यह सुनिश्चित किया है कि उसके पास वह सब कुछ हो जो उसे अपनी रक्षा के लिए चाहिए।”

बुधवार को पाकिस्तानी उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने जेद्दा में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की कार्यकारी समिति की एक बैठक में भाग लिया। डार को ईरान द्वारा हमास नेता इस्माइल हानिया की हत्या के बाद इजरायल के प्रति 57 सदस्यीय गुट की प्रतिक्रिया पर चर्चा के लिए बुलाया गया था।

डार ने हाल ही में ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह में भी भाग लिया था और वे ईरान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अली बागेहरी कानी के साथ नियमित संपर्क में हैं।

इस्लामाबाद द्वारा शाहीन-III मिसाइल देने की योजना की खबरें अमेरिका को और अधिक परेशान कर सकती है। इससे पहले ईरान से जुड़े एक पाकिस्तानी व्यक्ति को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश के लिए गिरफ्तार किया गया है।

कराची निवासी 46 वर्षीय पाकिस्तानी नागरिक आसिफ रजा मर्चेंट ने ट्रंप की हत्या की साजिश रची थी। उसका तेहरान के साथ घनिष्ठ संबंध भी उजागर हुआ है।

इस वर्ष की शुरुआत में वाशिंगटन ने चेतावनी दी थी कि ईरान के साथ व्यापारिक समझौता करने पर प्रतिबंध लग सकता है।

अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने ईरानी राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा के बाद कहा, “मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हम ईरान के साथ व्यापारिक सौदे करने पर विचार करने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन पाकिस्तान सरकार अपनी विदेश नीति के बारे में खुद ही बात कर सकता है।”

–आईएएनएस

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