हरियाणा चुनाव की तारीख में बदलाव देशहित का फैसला : भाजपा

सोनीपत/अंबाला, 1 सितंबर (आईएएनएस)। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख में बदलाव किया गया है। चुनाव आयोग के इस निर्णय का भाजपा ने स्वागत किया है। पार्टी ने इसे देशहित में लोकतंत्र को मजबूत करने वाला फैसला बताया है।

हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि यह सही फैसला है। मैं चुनाव आयोग का धन्यवाद करता हूं। हमारे पत्र पर संज्ञान लेते हुए चुनाव की तारीख को बदला गया। पहले जो तारीख थी, उसमें 5 दिन की लंबी छुट्टियां थी। इस वजह से वोट प्रतिशत में काफी फर्क पड़ता।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली ने भी इसे सही बताया है। उन्होंने कहा कि हमने पत्र के माध्यम से निर्वाचन आयोग से तारीख बदलने की मांग की थी। चुनाव आयोग ने मतदान की तिथि 1 से बढ़ाकर 5 अक्टूबर कर दी है और 8 अक्टूबर को मतगणना होगी। मैं इसके लिए चुनाव आयोग को धन्यवाद कहना चाहता हूं।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चुनाव से भागने के लिए तारीख में बदलाव की मांग की थी। इस सवाल पर मोहनलाल बडोली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा से देश को कमजोर करने का काम किया है। कांग्रेस लोकतंत्र की हमेशा से दुश्मन रही है। कांग्रेस लोकतंत्र में विश्वास नहीं करने वाली पार्टी रही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी ऐसी सोच नहीं रखी कि जनता ज्यादा से ज्यादा मतदान करे। कांग्रेस ने आपातकाल लगाते हुए देश के लोकतंत्र को खत्म करने का काम किया था। यही कांग्रेस पार्टी की मंशा है, इसी भावना को उन्होंने हमेशा प्रकट किया है। चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख बदलने का फैसला देशहित में लिया है। लोकतंत्र को मजबूत करने में यह बहुत अच्छा कदम है।

उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने शनिवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख में बदलाव किया। निर्वाचन आयोग ने हरियाणा में एक चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख बदलकर 5 अक्टूबर कर दी है। इससे पहले मतदान 1 अक्टूबर को होना था।

चुनाव आयोग ने बिश्नोई समुदाय के सदियों पुराने त्योहार का हवाला देते हुए शनिवार को हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना की तारीख 8 अक्टूबर कर दी। चुनाव आयोग की तरफ से घोषणा की गई, “यह निर्णय बिश्नोई समुदाय के मताधिकार और परंपराओं का सम्मान करने के लिए लिया गया है, जिन्होंने अपने गुरु जम्भेश्वर की स्मृति में आसोज अमावस्या उत्सव मनाने की सदियों पुरानी प्रथा को कायम रखा है। इससे बड़ी संख्या में लोग मतदान के अधिकार से वंचित रह सकते हैं, साथ ही इससे हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी कम हो सकती है।”

–आईएएनएस

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