नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)। वाराणसी में नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (एसएलसीआर) की स्थापना हुई है। इसमें आईआईटी के छात्रों और शोधकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान है। इस पहल का मूल उद्देश्य वाराणसी में वरुणा नदी का संरक्षण करना और छोटी नदियों के संरक्षण, प्रबंधन में उत्कृष्टता लाना है।
केंद्र सरकार का जल शक्ति मंत्रालय और डेनमार्क सरकार भी इस अनूठी पहल का हिस्सा हैं। इस पहल में आईआईटी-बीएचयू में एक हाइब्रिड लैब मॉडल और वरुणा नदी पर ‘ऑन-फील्ड लिविंग लैब’ की स्थापना शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वास्तविक रूप से परीक्षण और मानदंड समाधान किया जा सकेगा।
केंद्र सरकार के मुताबिक इंडो डेनमार्क संयुक्त संचालन समिति (जेएससी) रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करके प्रगति की समीक्षा करेगी। आईआईटी-बीएचयू और अन्य एजेंसी के बीच स्थापित सचिवालय दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों, परियोजना विकास और ज्ञान प्रसार का प्रबंध करेगा। इस परियोजना को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से 16.80 करोड़ रुपए का प्रारंभिक वित्त पोषण और डेनमार्क से 5 करोड़ रुपए का अतिरिक्त अनुदान मिलेगा।
इस पहल के जरिए यहां जल विज्ञान मॉडल, परिदृश्य निर्माण, पूर्वानुमान और डेटा विश्लेषण के माध्यम से बेसिन जल गतिशीलता का विश्लेषण किया जा सकेगा। यह 2-3 साल की परियोजना भूजल और जल विज्ञान मॉडल को एकीकृत करके एक व्यापक नदी प्रबंधन योजना बनाएगी। दूसरी परियोजना ‘उभरते प्रदूषकों के लक्षण’ पर केंद्रित है। अगले 18 महीनों में, यह पहल प्रदूषकों की पहचान और मात्रा निर्धारित करने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करेगी।
कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के नेतृत्व में, इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य एक विस्तृत फिंगरप्रिंट लाइब्रेरी बनाना, जल गुणवत्ता निगरानी को बेहतर बनाना और प्रभावी उपचार रणनीतियों का प्रस्ताव करना है। गहन शोध और परामर्श पर आधारित परियोजना में पुरातात्विक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने की गतिविधियां शामिल हैं। 2-3 वर्षों के भीतर प्राप्त होने वाली इस परियोजना का उद्देश्य नदी की स्वच्छता सुनिश्चित करते हुए क्षेत्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ाना है।
श्रृंखला की अंतिम परियोजना, ‘रिचार्ज साइट्स के लिए वरुणा बेसिन का हाइड्रोजियोलॉजिकल मॉडल’, प्रबंधित जलभृत रिचार्ज के माध्यम से प्रवाह को बढ़ाने का लक्ष्य है। अगले 24 महीनों में, परियोजना रिचार्ज साइटों और दरों की पहचान करने के लिए उन्नत भूभौतिकीय तकनीकों और गणितीय मॉडलिंग का उपयोग करेगी।
–आईएएनएस
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