नई दिल्ली, 6 सितंबर (आईएएनएस)। खेल जगत की लाइमलाइट देखकर देश का हर युवा का इसमें करियर बनाने का सपना देखता है। ‘दूर के ढोल सुहावने होते हैं’ एक मुहावरा है जिसका मतलब है कि दूर से सब अच्छा लगता है। खेल में करियर भी बनाना कुछ ऐसा ही है, यहां अर्श से फर्श तक का सफर तय करना बहुत मुश्किल है। कुछ नाम तो ऐसे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत से बड़ा मुकाम तो हासिल किया लेकिन गुमनामी के अंधेरे में खो गए, जबकि कुछ आर्थिक तंगी से जूझते हुए शोहरत हासिल करते हैं।
आज (6 सितंबर) खेल जगत से जुड़े ऐसे ही दो शख्सियत का जन्मदिन है, जिन्होंने तमाम चुनौतियों को पार करते हुए अपना सपना पूरा किया।
देवांग गांधी, 6 सितंबर 1971 (आयु 53 वर्ष): भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के चयनकर्ता रहे इस खिलाड़ी का एक समय घरेलू क्रिकेट में दबदबा था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इनसे काफी उम्मीदें लगाई गई थीं। शुरुआत उन्होंने बड़े मंच पर भी शानदार की लेकिन फिर मामला बिगड़ गया। भारतीय टीम के लिए भले ही उन्होंने महज सात मैच खेले हों लेकिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में उनका नाम भी शामिल है।
देवांग गांधी आज यानी शुक्रवार 6 सितंबर को अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका क्रिकेट करियर हवा में उछाले हुए सिक्के जैसा था, जो जितनी तेजी में उसे ऊपर गया उससे कहीं ज्यादा तेजी में नीचे गिरा। घरेलू क्रिकेट में शानदार खेल दिखाने की वजह से उन्हें टीम इंडिया में जगह मिली थी। लेकिन, वह केवल भारत की सरजमीं पर ही धमाल मचा पाए थे । विदेशी जमीन पर उनकी फजीहत हो गई थी।
देवांग के करियर पर नजर डाले तो उन्होंने केवल भारत के लिए चार टेस्ट मैच खेले हैं। जहां उन्होंने 34 की औसत से 204 रन बनाए। वहीं तीन वनडे में 16.33 की औसत से उनके नाम 49 रन है। वहीं देवांग गांधी के घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन को देखें तो वो काफी शानदार रहा है। उन्होंने बंगाल के लिए 95 फर्स्ट क्लास मैचों में 42.73 की औसत से 6111 रन अपने नाम किए हैं। इस दौरान उन्होंने 16 शतक और 27 अर्धशतक जड़े थे। जबकि 98 लिस्ट ए मैच में उन्होंने नौ शतक और 16 अर्धशतक जड़कर 3,402 रन बनाए थे।
लवप्रीत सिंह, 6 सितंबर 1997 (आयु 27 वर्ष): एक भारतीय वेटलिफ्टर (भारोत्तोलन) हैं जो पुरुषों के 109 किलोग्राम भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हैं। अमृतसर के एक दर्जी के बेटे लवप्रीत को बचपन से खेल-कूद का बड़ा शौक था लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उनका इसमें अपना करियर तलाशना आसान नहीं रहा। मगर उन्होंने हार नहीं मानी और वेटलिफ्टिंग में अपना करियर बनाने की ठानी।
हैवीवेट लिफ्टर को 2015 में नेवी में नौकरी मिल गई थी। उसके बाद वह पटियाला में राष्ट्रीय शिविर में शामिल हो गए। दो साल बाद ही उन्होंने राष्ट्रमंडल जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण और एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। पंजाब के रहने वाले लवप्रीत 109 किलोग्राम वर्ग में वेटलिफ्टिंग करते हैं। लवप्रीत भारतीय नेवी में कार्यरत हैं। लवप्रीत ने साल 2017 में हुई एशियाई युवा और जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारत प्रतिनिधित्व किया था। इस दौरान उन्होंने भारत के लिए कई पदक भी जीते।
उन्होंने 2021 राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन चैंपियनशिप में रजत पदक जीता और 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक पर अपना कब्जा किया।खेल के साथ-साथ भारतीय नौसेना में कार्यरत लवप्रीत को हैवीवेट वेटलिफ्टरों में प्रतिभावान माना जा रहा हैं।
–आईएएनएस
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