दिल्ली के जंतर-मंतर पर डॉक्टरों का प्रदर्शन, सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग

नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली के जंतर-मंतर पर शनिवार को एक बार फिर डॉक्टरों का जमावड़ा देखा गया। जंतर-मंतर पर डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर एकजुट हुए। डॉक्टरों की मांग है कि सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाना चाहिए, जिससे डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

यह प्रदर्शन डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग को लेकर किया गया है, जो देशभर में बढ़ती हिंसा के कारण खतरे में हैं। इस प्रदर्शन में दिल्ली सेल्स मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ऑर्गेनाइजेशन और अन्य संगठनों ने भाग लिया, जो डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग को लेकर एकजुट हुए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि देश भर में डॉक्टरों पर हिंसा बढ़ रही है, और सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना चाहिए।

इस प्रदर्शन के पीछे की वजह आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या का मामला है, जिसने डॉक्टरों को आक्रोशित किया है। डॉक्टरों की मांग है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए और दोषी को जल्द से जल्द फांसी पर चढ़ाया जाना चाहिए।

फेडरेशन ऑफ आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएसए) के अध्यक्ष रोहन कृष्णा ने कहा, “आज हम जंतर मंतर पर इसलिए इकट्ठे हुए हैं क्योंकि हमारी एक बहन, जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर थी, के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना हुई है। इस मामले में सीबीआई जांच चल रही है, लेकिन हमारी मांग है कि जांच तेजी से की जाए और दोषी को फांसी पर चढ़ाया जाए।”

उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, हमारी मांग है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए। देशभर में डॉक्टरों पर हिंसक घटनाएं बढ़ रही है और डॉक्टर सुरक्षित नहीं हैं। हम इन्हीं मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने के लिए आए हैं।”

डॉ नीलम ने कहा, “डॉक्टरों के लिए केंद्रीय प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना बहुत जरूरी है। हमारी कोशिश होती है कि अस्पताल में आने वाले हर मरीज को बचाया जाए, लेकिन कई बार मरीज बहुत गंभीर हालत में आते हैं। कई बार हम तमाम कोशिश करने के बाद भी मरीजों को बचा नहीं पाते हैं, इसके बाद अस्पताल में तोड़फोड़ और मारपीट शुरू हो जाती है। डॉक्टर्स आज डरे हुए हैं, उनमें डर का माहौल है। इसलिए हमारी मांग है कि केंद्रीय प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए, जिससे डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।”

–आईएएनएस

पीएसके/जीकेटी