टीएमसी में सबकुछ ठीक नहीं : बृज मोहन श्रीवास्तव

मुंबई, 8 सितंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में टीएमसी सांसद जवाहर सरकार के पार्टी से इस्तीफा देने के फैसले के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता और जनरल सेक्रेटरी बृज मोहन श्रीवास्तव ने टीएमसी में सब कुछ ठीक नहीं होने की बात कही है।

उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “हम लोग लगातार इस बात को कह रहे हैं कि ‘टीएमसी में सब कुछ ठीक नहीं है। वहां बहुत ज्यादा आपसी मतभेद हैं। ममता बनर्जी पर उनकी पार्टी के लोग दबाव भी डाल रहे हैं कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले में पीछे हटें। लेकिन जिस प्रकार से ममता की कार्यप्रणाली है, उसमें उनको यह बात स्वीकार नहीं है। अभी तो यह तो शुरुआत है। अभी और भी लोग असंतुष्ट हैं। ऐसे लोगों की एक लंबी लिस्ट है, जो उनसे अलग होना चाहते हैं। उन्होंने कहा क‍ि ममता बनर्जी की कार्यप्रणाली वैसी नहीं है, जैसी किसी प्रदेश को चलाने के लिए होनी चाहिए। यही कारण है कि पश्चिम बंगाल में इतना असंतोष है।”

वह कहते हैं, “ बंगाल में सारा मामला कानून व्यवस्था का है। उसको लेकर ही लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं। ये जन आक्रोश ममता के खिलाफ है। इस जन आक्रोश को समझते हुए उनकी पार्टी के नेता, विधायक और सांसद उनके खिलाफ जाने लगे हैं।”

बता दें, “पश्चिम बंगाल में टीएमसी के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजते हुए लिखा, आपने मुझे राज्यसभा में पश्चिम बंगाल से सांसद के रूप में चुनकर सम्मानित किया है। हमारे राज्य की विभिन्न समस्याओं को केंद्र सरकार के ध्यान में लाने का अवसर देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। लेकिन काफी सोच-विचार के बाद मैंने सांसद पद से इस्तीफा देने और खुद को राजनीति से अलग करने का फैसला किया है।

उन्होंने आगे लिखा, तीन साल पहले मुझे देश के उच्चतम स्तर पर राजनीतिक विचार और प्रक्रिया का अवलोकन और विश्लेषण करने का अमूल्य अवसर देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। जीवन के अंतिम पड़ाव पर 69 से 70 वर्ष की आयु में कोई भी व्यक्ति किसी विशेष पद के लिए उम्मीदवार के रूप में राजनीतिक क्षेत्र में नहीं उतरता, इसलिए मेरी कभी भी किसी पार्टी पद या किसी अन्य चीज़ के लिए कोई महत्वाकांक्षा नहीं रही।

अपनी सक्रिय भागीदारी का जिक्र भी उन्होंने लिखा, दलगत राजनीति में प्रत्यक्ष भागीदार हुए बिना, सांसद बनने का मेरा एकमात्र उद्देश्य संसद में मोदी और भाजपा सरकार की निरंकुश और सांप्रदायिक राजनीति को बेनकाब करने के संघर्ष में शामिल होना था। इस संघर्ष में एक छोटा सिपाही होते हुए भी, मैं संसद में कई बहसों में भाग लेने में सक्षम रहा हूं, जिसका प्रमाण संसद टीवी या यूट्यूब पर मिलता है।

मोदी सरकार की सत्तावादी, विभाजनकारी, भेदभावपूर्ण और अलोकतांत्रिक गतिविधियों और नीतियों की स्पष्ट रूप से और कड़ी आलोचना करने से मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है।

उन्होंने पत्र में लिखा, मेरा विश्वास करें कि इस समय हम राज्य की आम जनता में जो स्वतः स्फूर्त आंदोलन और गुस्से का विस्फोट देख रहे हैं, उसका मूल कारण कुछ पसंदीदा नौकरशाहों और भ्रष्ट व्यक्तियों का बाहुबल है। मैंने अपने जीवन में सरकार के प्रति इतना गुस्सा और अविश्वास कभी नहीं देखा।

–आईएएनएस

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