कांग्रेस में शाम‍िल होने पर राजेंद्र पाल गौतम ने कहा, ‘मैं राहुल गांधी से प्रभावित हूं’

नई दिल्ली, 6 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम शुक्रवार को आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शाम‍िल हो गए। उन्होंने आईएएनएस से कहा, मैं राहुल गांधी से काफी प्रभावित हूं और इसलिए कांग्रेस में शाम‍िल हूं। मेरे लिए भागीदारी और सामाजिक न्याय किसी भी पद से ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा है। सामाजिक सम्मान से बड़ा कोई पद नहीं है। एससी-एसटी-ओबीसी के लोग वोट बैंक नहीं है। उन्हें आपको हिस्सेदारी देनी होगी, उनके मुद्दों पर बात करनी होगी।

गौतम ने कहा, 56 साल की उम्र में मैंने अपने समुदाय को बेहतर बनाने के लिए 43 साल समर्पित किए हैं और मैंने आम आदमी पार्टी के भीतर उस काम को जारी रखने की कोशिश की। मैंने कहा कि अगर पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ना है, तो उसे प्रतिनिधित्व और भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।

गौतम ने कहा, हमें एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर नहीं देखना चाहिए। आप द्वारा राज्यसभा में भेजे गए लोगों में से कोई भी एसटी, एससी या अल्पसंख्यक समूहों से नहीं था। चार केंद्रीय पदों में से कोई भी एसटी, एससी या अल्पसंख्यक समुदायों से नहीं है। इसी तरह, 29 राज्य अध्यक्षों या प्रभारियों में से कोई भी इन समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

बता दें कि कांग्रेस में शाम‍िल होने से पहले राजेंद्र पाल गौतम ने एक्स पर लिखा, सामाजिक न्याय व सभी क्षेत्रों में बहुजन समाज की हिस्सेदारी तथा भागीदारी के संघर्ष को गतिमान करने के लिए मैं आम आदमी पार्टी के सभी पदों व सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।

पत्र में उन्होंने लिखा, मुझे यह एहसास होता रहा है कि आम आदमी पार्टी, भाजपा की विचारधारा के प्रचंड दबाव के अधीन, अल्पसंख्यक और बहुजन समाज के हितों की नजरअंदाजी कर रही है। मुझे आशा थी कि शायद पार्टी अपनी नीति में कुछ तो बदलाव करेगी और भाजपा से विचारधारा के आधार पर सीधा डटकर मुकाबला करेगी और शोषित, वंचित एवं अल्पसंख्यक समाज की आवाज को मजबूती से उठाएगी। लेक‍िन मैं बड़े ही दुखी मन से यह बताना चाहता हूं कि मुझे हर बार निराशा ही हुई। पार्टी सवर्ण जाति के विधायकों या मंत्रियों पर किसी भी तरह का आरोप लगने पर भी उनका ही साथ देती है, लेकिन यदि मुस्लिम या दलित पर कोई आरोप हो, चाहे वह झूठा ही क्यों न हो, उसका साथ तुरंत छोड़ देती है। पार्टी एक तरह से मुस्लिमों और दलितों को मन ही मन ब्लैकलिस्ट कर देती है और अपना व्यवहार भी बदल लेती है, जो पीड़ादायी है।