दिल्ली के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के लिए उपराज्यपाल जिम्मेदार : सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की एक चिट्ठी का जवाब देते हुए शुक्रवार को कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 14 हज़ार नये बिस्तरों का इंतज़ाम किया जा रहा, कई जगह नये अस्पतालों का निर्माण हो रहा और कुछ जगह नये ब्लॉक बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन अस्पतालों में डॉक्टरों तथा अन्य स्टाफ़ की नियुक्ति उपराज्यपाल के अंदर आने वाले सर्विसेज विभाग का काम है और “यदि भाजपा के एलजी साहब यहां भर्तियों का काम नहीं कर पा रहे तो यह काम हमें सौंप दें”।

सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल पर सरेआम झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “इन अस्पतालों का बजट हर साल एलजी साहब और केंद्र सरकार के यहां से पास होकर विधानसभा में आता है। पहले से बने हुए अस्पतालों में डॉक्टर समेत 30 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली हैं। इन पर भर्ती के लिए मैं कई बार एलजी साहब को पत्र लिख चुका हूं। नए अस्पतालों में भर्ती के लिए सर्विसेज विभाग को पद सृजित करने होंगे और फिर यूपीएससी के द्वारा नियुक्तियां होंगी। इस पूरी प्रक्रिया में दो वर्ष लग जाएंगे तो अभी तक एलजी साहब और उनका विभाग क्या कर रहा था।”

सौरभ भारद्वाज का कहना है कि कोरोना के समय से ही दिल्ली सरकार ने अस्पतालों के निर्माण और उसमें आईसीयू बेड उपलब्ध कराने का काम शुरू कर दिया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि उन्होंने स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर कई बार कहा कि दिल्ली सरकार अस्पतालों का निर्माण करा रही है, इनके लिए भर्तियां की जाएं। यह काम एलजी का होने के बावजूद उन्होंने पत्र लिखा, लेकिन स्वास्थ्य सचिव ने पत्र का जवाब तक नहीं दिया। सरकार को करोड़ों का नुकसान कराने वाले इस स्वास्थ्य सचिव पर एलजी ने कोई एक्शन नहीं लिया।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अस्पतालों में भर्तियों के लिए वह एलजी साहब से कई बार निवेदन कर चुके हैं, लेकिन वह बार-बार इनकार कर रहे हैं। अस्पतालों में संविदा भर्ती का निवेदन वह खुद और हाई कोर्ट द्वारा बनाई कमेटी भी कर चुकी है, लेकिन एलजी ये भर्तियां नहीं कर रहे हैं।

सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया, “भाजपा के एलजी साहब केवल शोर-शराबा कर रहे हैं, वह अधिकारियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं। एलजी साहब दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़ एक्शन लें।

आईएएनएस

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