नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर देशभर में चल रही चर्चा के बीच मुस्लिम धर्मगुरुओं और मुस्लिम विद्वानों ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में उन्होंने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू और इस विधेयक पर विचार-विमर्श करने के लिए गठित जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल से मुलाकात की।
अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष एवं अजमेर दरगाह के वर्तमान आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती के नेतृत्व में मुस्लिम धर्मगुरुओं, विद्वानों और बुद्धिजीवियों के प्रतिनिधिमंडल ने किरेन रिजिजू से उनके आवास पर मुलाकात की। डेलीगेशन ने मुस्लिम समुदाय से जुड़े विभिन्न मसलों और उनके द्वारा लोकसभा में पेश वक्फ (संशोधन) विधेयक- 2024 पर चर्चा की।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात के बाद सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती के नेतृत्व में ही मुस्लिम धर्मगुरुओं, विद्वानों और बुद्धिजीवियों के डेलिगेशन ने जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल से उनके आवास मुलाकात की।
आपको बता दें कि, भाजपा सांसद जगदंबिका पाल वक्फ ( संशोधन) विधेयक 2024 पर सभी हितधारकों से विचार-विमर्श कर संसद को रिपोर्ट देने के लिए गठित जेपीसी के चेयरमैन है। इस समिति में पाल सहित विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े दोनों सदनों-लोकसभा और राज्यसभा के 31 सांसद शामिल हैं। इनमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सांसद हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने दोनों नेताओं से मुस्लिम समाज से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों की चर्चा करते हुए बताया कि वक्फ बोर्ड के कारण देशभर के मुस्लिमों के लिए समस्याएं पैदा हो रही हैं। प्रतिनिधिमंडल ने जेपीसी पर अपना पूरा विश्वास जताते हुए कहा कि यह समिति देश भर के दरगाहों को वक्फ बोर्ड के कारण होने वाली समस्याओं को सुनेगी और इसे अन्य पक्षों के सुझावों के साथ शामिल भी करेगी।
मुस्लिम धर्मगुरुओं, विद्वानों और बुद्धिजीवियों के इस प्रतिनिधिमंडल ने सरकार द्वारा लाए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 का पुरजोर शब्दों में समर्थन करते हुए इस बात पर भी जोर दिया कि वक्फ के कामकाज में बेहतर प्रबंधन, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए। इसमें भ्रष्टाचार और जमीन हड़पने जैसी बुराइयों को पूरी तरह से खत्म कर, इसे गरीब मुसलमानों के लिए लाभकारी बनाया जाना चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से वक्फ बोर्ड के अत्याचारों को रोकने के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने और दरगाहों के मामलों के प्रबंधन के लिए अधिनियम के जरिए अलग से एक दरगाह बोर्ड की स्थापना करने की भी मांग की। अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी के प्रचार-प्रसार के लिए मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर हेल्प डेस्क स्थापित करने का भी सुझाव दिया गया।
–आईएएनएस
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