एचपी और पैजेट भारत में लैपटॉप, पीसी का करेंगी निर्माण, 1,500 नौकर‍ियों का होगा सृजन : अश्विनी वैष्णव

नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को घोषणा की कि उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की प्रमुख कंपनियों एचपी इंक और पैजेट इलेक्ट्रॉनिक्स ने तमिलनाडु की एक फैक्ट्री में एचपी लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर और ऑल-इन-वन पीसी बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

वैष्णव ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए एक बड़ी सफलता है।

मंत्री ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण 10 लाख करोड़ रुपये (2014 में 2.4 लाख करोड़ रुपये से) को पार कर गया है। इसमें 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। आईटी हार्डवेयर योजना के लिए पीएलआई के कारण, भारत प्रमुख आईटी हार्डवेयर ब्रांडों के लिए विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरा है।”

घरेलू डिक्सन टेक्नोलॉजीज की सहायक कंपनी पैजेट इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ समझौते के तहत एचपी उपकरणों का उत्पादन अगले साल जनवरी से शुरू होने वाला है और चेन्नई के एक औद्योगिक उपनगर ओरागदम में उत्पादन सुविधा शुरू होने के बाद अगले दो वर्षों में प्रति वर्ष 20 लाख इकाइयों तक पहुंचने का अनुमान है।

मंत्री वैष्णव ने कहा कि, इससे 1,500 से ज्यादा प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी और पैजेट धीरे-धीरे घटकों, मॉड्यूल और बाह्य उपकरणों के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ाएगा, इससे ज्‍यादा नौकरियां पैदा होगी। देश में बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम के बीच वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड भारत स्थित निर्माताओं के साथ साझेदारी कर रहे हैं।

उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में आईटी हार्डवेयर क्षेत्र अभी भी प्रारंभिक चरण में है और डेल, एचपी, एएसयूएस, लेनोवो और एस्‍सार जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों को देश को अपना विनिर्माण केंद्र बनाने में सुरक्षित महसूस कराना एक महत्वपूर्ण कारक होगा।

आईटी हार्डवेयर योजना के लिए संशोधित पीएलआई 2.0, 17,000 करोड़ रुपये के बढ़े हुए बजटीय परिव्यय और छह साल तक विस्तारित अवधि के साथ, 3,35,000 करोड़ रुपये का वृद्धिशील उत्पादन उत्पन्न करने की उम्मीद है।

इस योजना का उद्देश्य 75,000 प्रत्यक्ष रोजगार और 2,00,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना है। इससे इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

–आईएएनएस

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