इटली बना यूरो चैंपियन, पेनल्टी शूटआउट में इंग्लैंड को दी मात

इटली ने यूरो चैंपियन बनने के लिए पिछले पांच दशक से तरस रहे इंग्लैंड के सपने को फाइनल में हराकर चकनाचूर कर दिया। यह केवल एक पेनल्टी शूटआउट के कारण हुआ। इटली ने फाइनल में इंग्लैंड को पेनल्टी शूटआउट में 3-2 से हराकर यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप: यूरो 2020 का खिताब अपने नाम कर लिया। यह दूसरा मौका है जबकि इटली यूरो चैंपियन बना। वहीं यह लगातार तीसरा अवसर है जब इंग्लैंड को पेनल्टी शूटआउट में नाकामी हाथ लगी है। पुर्तगाल के स्टार स्ट्राइकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने सर्वाधिक पांच गोल करके गोल्डन बूट का पुरस्कार हासिल किया।

खेल के दूसरे मिनट में इंग्लैंड की बढ़त काम नहीं आई

इंग्लैंड के ल्यूक शॉ ने खेल के दूसरे मिनट में गोल दागकर अपने देश को बढ़त दिला दी थी। यह यूरोपीय चैंपियनशिप के फाइनल में सबसे तेज गोल था। इसके बाद इटली के लियोनार्डो बोनुची ने 67वें मिनट में बराबरी का गोल किया। इसके बाद जियानलुगी डोनारुम्मा ने अपनी बायीं तरफ डाइव लगाकर बुकायो साका का शॉट रोका और इंग्लैंड को अपने पसंदीदा वेम्बले स्टेडियम में लगातार तीसरी बार पेनल्टी शूटआउट में नाकामी हाथ लगी।

इटली फर्श से अर्श पर

महज चार साल पहले इटली की फुटबॉल की स्थिति अच्छी नहीं थी। वह छह दशक में पहली बार विश्व कप में जगह बनाने में असफल रहा था। लेकिन इटली की टीम ने कई बार हारी बाजी को जीतकर दुनिया को दिखाया है। वर्ष 2006 विश्व कप के पहले लगभग पूरी टीम मैच फिक्सिंग के आरोप का सामना कर रही थी। नौबत यहां तक कि पूरी की पूरी टीम के जेल जाने की आशंका लोग जताने लगे थे। लेकिन जूझारूपन दिखाते हुए इटली की टीम ने महज 10 खिलाड़ियों के बूते चैंपियन बनकर दिखाया था। यूरो कप जितने के बाद अब वह यूरोप की सर्वश्रेष्ठ टीम है और कोच राबर्टों मनीची के रहते हुए सर्वाधिक मैचों में अजेय रहने के राष्ट्रीय रिकॉर्ड की राह पर है।

इंग्लैंड के खाते में 55 साल बाद भी सूखा

इस बार यूरो कप का फाइनल इंग्लैंड के लिए बेहद अहम था। इंग्लैंड पिछले 55 वर्षों में पहली बार किसी बड़े टूर्नामेंट का फाइनल खेल रहा था। उसने 1966 में विश्व कप में जीत के बाद कोई बड़ा खिताब नहीं जीता है। इससे पहले उसने 1990, 1996, 1998, 2004, 2006 और 2012 में बड़े टूर्नामेंटों में पेनल्टी शूटआउट में मैच गंवाए थे।

झूम उठा जीत के बाद इटली

निर्णायक पेनल्टी रोकने के बाद डोनारुम्मा के आंसू नहीं थम रहे थे। उनके साथी उनकी तरफ दौड़ पड़े और उन्हें अपने गले लगा दिया। इटली ने इससे पहले 1968 में यूरोपीय चैंपियनशिप जीती थी। इटली ने यूरो खिताब का जश्न न सिर्फ अपनी युवा राष्ट्रीय टीम बल्कि एक ऐसे देश के लिए भी नई शुरुआत के रूप में मनाया जो कोरोना महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित होने के बाद अब सामान्य स्थिति में लौटने की कोशिश कर रहा है। वहीं इंग्लैंड की टीम उसके प्रशंसकों के लिए यह किसी सदमें से कम नहीं था। लंदन के रहने वाले 19 वर्षीय बुकायो साका को पेनल्टी में उनकी चूक के बाद इंग्लैंड के कई खिलाड़ियों ने गले लगाया। इंग्लैंड के कोच गेरेथ साउथगेट इससे पिछली पेनल्टी चूकने वाले जादोन सांचो के गले लगे जबकि पेनल्टी में नाकाम रहे एक अन्य खिलाड़ी मार्कस रशफोर्ड निराश होकर मैदान से बाहर चले गए।