एक के पास ‘कलम’ की ताकत तो दूसरा ‘बंदूक’ की नोक पर रखता था दुश्मन के नापाक इरादे
नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। ‘बनाना है हमें अब अपने हाथों अपनी किस्मत को, हमें अपने वतन का आप बेड़ा पार करना है।’ ये कुछ पंक्तियां उनके लिए हैं, जो कलम और बंदूक की ताकत से वाकिफ नहीं। आधुनिक हिंदी साहित्य के ‘पितामह’ कहे जाने वाले भारतेन्दु हरिश्चन्द्र और भारतीय सेना के ‘शेरशाह’ विक्रम बत्रा […]
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