बीजिंग, 18 अगस्त (आईएएनएस)। छिंगहाई-शीज़ांग (तिब्बत) पठार पर दूसरा व्यापक वैज्ञानिक सर्वेक्षण और अनुसंधान परिणाम सम्मेलन 18 अगस्त को शीज़ांग में आयोजित हुआ।
चीनी विज्ञान अकादमी के छिंगहाई-शीज़ांग पठार अनुसंधान प्रतिष्ठान, चीनी मौसम विज्ञान अकादमी, पेइचिंग विश्वविद्यालय, लैनचो विश्वविद्यालय और अन्य इकाइयों के वैज्ञानिक अनुसंधान विशेषज्ञ ल्हासा में एकत्र हुए।
उन्होंने बीते सात सालों में इस वैज्ञानिक अभियान के दस प्रमुख कार्यों के महत्वपूर्ण परिणाम जारी किए। वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि छिंगहाई-शीज़ांग पठार, जो एशिया का जल मीनार के रूप में माना जाता है, गर्म, गीला और हरा-भरा हो रहा है।
पिछले 15 वर्षों में, छिंगहाई-शीज़ांग पठार पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार की समग्र प्रवृत्ति देखी गई है। उनमें से, उच्च गुणवत्ता वाले घास के मैदान और वन क्षेत्रों के अनुपात में क्रमशः 6 प्रतिशत और 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जल संरक्षण, मृदा संरक्षण और हवा की रोकथाम और रेत निर्धारण सेवा कार्यों में क्रमशः 1 प्रतिशत, 2 प्रतिशत और 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पारिस्थितिकी तंत्र सेवा कार्यों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
साथ ही, छिंगहाई-शीज़ांग पठार में 6.5 करोड़ टन से अधिक का वार्षिक कार्बन अधिशेष है, जो चीन की कार्बन तटस्थता की उपलब्धि में भी योगदान देता है।
परिचय के मुताबिक, वैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने पिछले सात वर्षों में 3,000 से अधिक नई प्रजातियों की खोज की है। वैज्ञानिक अनुसंधान ने यह भी सुझाव दिया कि छिंगहाई-शीज़ांग पठार पर सबसे प्रारंभिक मानवीय गतिविधियां 1.9 लाख साल पहले हुई होंगी, जिससे छिंगहाई-शीज़ांग पठार में मानवीय गतिविधियों के अनुकूलन के नए सबूत मिले हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
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