एक जिम्मेदार यात्री के तौर पर आप घूमने-फिरने निकलते हैं तो आप देश-दुनिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए पर्यटन मंत्रालय (Ministry of Tourism) ने संयुक्त पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और भारतीय जिम्मेदार पर्यटन सोसायटी यानी Responsible Tourism Society of India (RTSOI) के साथ साझेदारी में नई दिल्ली में सतत और जिम्मेदार पर्यटक स्थलों के विकास (National Strategy for Sustainable Tourism and Responsible Traveller Campaign ) पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। इस अवसर पर, पर्यटन मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर सतत पर्यटन और जिम्मेदार यात्री अभियान की शुरुआत भी की।
पर्यटन और पर्यावरण को अलग करके न देखें
इस अवसर पर पर्यटन सचिव अरविंद सिंह (Secretary of Tourism Arvind Singh) ने कहा कि पर्यटन और पर्यावरण का विशेष संबंध है। एक दूसरे के साथ उनका जुड़ाव दोतरफा प्रक्रिया है। एक तरफ पर्यावरण पर्यटन के मूल अवयवों में से एक हैं। प्राकृतिक और मानव निर्मित तत्व पर्यटन उत्पादों का निर्माण करती है जिनका पर्यटक आनंद लेते हैं और आराम करते हैं। वहीं दूसरी ओर आगंतुकों, मेजबान समुदायों और स्थानीय वातावरण के बीच घनिष्ठ और प्रत्यक्ष संबंध एक संवेदनशील स्थिति पैदा करता है, जो पर्यटन के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है, लेकिन सतत विकास के लिए बहुत सकारात्मक भी हो सकता है। COVID-19 महामारी ने पर्यटन क्षेत्र को अपना ध्यान इस क्षेत्र में विविध हितधारकों के बीच लचीलापन, स्थिरता और परस्पर जुड़ाव पर केंद्रित करने के लिए मजबूर किया है।
राज्यों को बनानी होगी ऐसी योजना
पर्यटन सचिव ने आगे कहा कि हमें स्वच्छ ईंधन का उपयोग करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री (prime minister) ने यह भी घोषणा की है कि भारत अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 GW तक बढ़ा देगा और 2030 तक अक्षय ऊर्जा के माध्यम से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि “राज्य की पर्यटन नीतियों को अपने में स्थिर सिद्धांतों और सतत विकास लक्ष्यों को पहचानना चाहिए। इसके मद्देनजर पर्यटन के सतत भविष्य के लिए पर्यटन मंत्रालय ने भी इस दिशा में कई कदम उठाए हैं।”
इस रणनीति पर हो रहा काम
सिंह ने कहा कि पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटकों को अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से स्वदेश दर्शन योजना (Swadesh Darshan Scheme ) शुरू की है और अब तक 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इस योजना से सीख लेकर हमने अब स्वदेश दर्शन योजना को स्वदेश दर्शन 2.0 (sd 2.0) के रूप में नया रूप दिया है। स्वदेश दर्शन 2.0 का विचार सतत और जिम्मेदार पर्यटक स्थलों को विकसित करने की दृष्टि के साथ समग्र विकास करना है। इसके लिए दिशानिर्देश तैयार करते समय हमने गंतव्य स्थलों के विकास को एक स्थायी और जिम्मेदार तरीके से करने के लिए विभिन्न तत्वों को ध्यान में रखा है। स्वदेश दर्शन 2.0 के माध्यम से विभिन्न परियोजनाओं और पहलों में स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन प्रथाओं को लागू किया जाएगा। यह योजना पर्यावरण, सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिरता सहित स्थायी पर्यटन के सिद्धांतों को अपनाने को प्रोत्साहित करेगी।”
इन बातों पर दिया जाएगा जोर
रणनीति दस्तावेज ने स्थायी पर्यटन के विकास के लिए रणनीतिक स्तंभों की पहचान की है जैसे पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना, जैव विविधता की रक्षा करना, आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना, सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिरता को बढ़ावा देना, सतत पर्यटन के प्रमाणन के लिए योजना, आईईसी और क्षमता निर्माण और शासन।
इन दिग्गजों ने भी रखी अपनी राय
एक दिवसीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्रों में पर्यटन मंत्रालय के सचिव,अरविंद सिंह के अलावा, शोम्बी शार्प, भारत में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख और राकेश माथुर, अध्यक्ष, आरटीएसओआई, सतत पर्यटन और जिम्मेदार यात्रा और राज्य सरकारों के क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न प्रतिष्ठित वक्ताओं ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। शिखर सम्मेलन में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन और विभिन्न पर्यटन और आतिथ्य उद्योग संघों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।