कपिला वात्स्यायन : लेखिका, नृत्यांगना और राज्यसभा सांसद, हर किरदार में रहीं दमदार

नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)। ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित और राज्यसभा की भूतपूर्व मनोनीत सदस्य कपिला वात्स्यायन एक जानी-मानी हस्ती थी, जिन्होंने भारतीय नृत्य एवं शिल्प में नृत्य छवियों, नाट्यशास्त्र और प्रकृति पर महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं। उन्होंने कला के क्षेत्र में अपनी अलग छाप छोड़ी।

आजादी से पूर्व 25 दिसंबर 1928 को दिल्ली में पैदा हुईं कपिला वात्स्यायन ने अपनी शिक्षा-दीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय, अमेरिका के मिशिगन विश्विद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पूरी की। कपिला वात्स्यायन ने अपना करियर बतौर शिक्षक शुरू किया। उन्होंने कला और इतिहास पर करीब 20 पुस्तकें और 200 से ज्यादा शोध पत्र भी लिखे।

उन्होंने पुस्तकों की भी रचनाएं की, जिनमें 1977 में ‘द स्क्वायर एंड द सर्किल ऑफ द इंडियन आर्ट्स’, 2000 में ‘डांस इन इंडियन पेटिंग’, 2006 में ‘भारत द नाट्यशास्त्र’ , 2007 में ‘क्लासिकल इंडियन डांस इन लिटरेचर एंड द आर्ट्स’ और 2011 में प्रकाशित ‘ट्रांस मिशन एंड ट्रांसफॉर्मेशन’ काफी चर्चित रही हैं।

उनका विवाह 1956 में प्रसिद्ध साहित्यकार सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ के साथ हुआ। इसके साथ ही उनके नाम के साथ वात्स्यायन सरनेम जुड़ गया। लेकिन, शादी के 13 साल बाद ही कपिला, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन से अलग हो गईं।

कपिला वात्स्यायन को नृत्य से भी काफी लगाव रहा। उन्होंने अच्छन महाराज से कथक और गुरु अमुबी सिंह से मणिपुरी के साथ भरतनाट्यम की शिक्षा ली। उनकी काबिलियत देखते हुए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई। उन्हें शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय में अहम पदों पर काम करने का मौका मिला।

उन्हें डॉ. एस. राधाकृष्णन, डॉ. जाकिर हुसैन, पंडित जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसी दिग्गज हस्तियों के साथ काम करने का मौका मिला। 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपनी मां इंदिरा गांधी की स्मृति में ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ की स्थापना की। तो, कपिला वात्स्यायन को उसका संस्थापक निदेशक बनाया गया।

यही नहीं उनकी प्रेरणा से तत्कालीन सरकार ने सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र सीसीआरटी की स्थापना की और उन्हें इसका प्रथम अध्यक्ष नियुक्त किया। कपिला वात्स्यायन को साल 2006 में राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। लाभ के पद के विवाद के कारण उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, 2007 में वह दोबारा राज्यसभा के लिए मनोनीत की गईं।

उन्होंने 2009 में फिल्म ‘डांस ऑफ द विंड’ में अभिनय किया था। उन्हें साल 1955 में पद्म भूषण और 2011 में पद विभूषण से सम्मानित किया गया। 1970 में संगीत नाटक अकादमी का पुरस्कार भी दिया गया। 1977 में हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए यूनेस्को पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2000 में राजीव गांधी सद्भावना अवॉर्ड से नवाजा गया। 16 सितंबर 2020 को डॉ. कपिला ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

–आईएएनएस

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